'मनुष्यता' कविता में परोपकार के संबंध में दिए गए उदाहरण को स्पष्ट करते हुए लिखिए कि आपका मित्र परोपकारी है, यह आपने कैसे जाना ?
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कवि ने दधीचि, कर्ण आदि महान व्यक्तियों का उदाहरण देकर त्याग और बलिदान का संदेश दिया है। ... दधीचि ने देवताओं की रक्षा के लिए अपनी हड्डियाँ दान दी, कर्ण ने अपना सोने का रक्षा कवच दान दे दिया, रति देव ने अपना भोजन थाल ही दे डाला, राजा शिवि ने अपनी शरण में आये कबूतर की रक्षा के लिये अपना माँस ही दान दे दिया
श्री सुमित्रानंदन पंत द्वारा लिखी गई कविता 'मनुष्यता' में परोपकार के बहुत से उदाहरण दिए गए हैं जिनसे हमें परोपकारी बनने का संदेश मिलता है l कविता में बताया गया है कि समाज के हर एक मनुष्य को दुखियों, वंचितों और जरूरत मंदों के लिए हर संभव और बड़े से बड़ा त्याग और दया करने के लिए हमेशा तैयार रहना चाहिए। इसके लिए उन्हें कर्ण, , रंतिदेव आदि के अतुल परोपकार भाव से प्रेरणा लेनी चाहिए।
मुझे अपने मित्र के परोपकार के इस भाव को देखकर बहुत ही खुशी होती है। एक बार जब मैं और मेरा मित्र किसी दुकान के बाहर खड़े होकर कुछ खा रहे थे। तभी अचानक वहां एक गरीब अम्मा आई और हमारे सामने रोने लगी l कभी मेरे मित्र ने अपने हाथ में रखा हुआ सारा खाना अम्मा की झोली में डाल दिया। उसने उनका आदर सत्कार भी किया और उन्हें सुरक्षित घर तक अपनी गाड़ी से छोड़ आया। इससे उसके परोपकार भाव का पता चलता है l
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