मनुष्यता कविता और अब कहां दूसरे के दुख से दुखी होने वाले पाठ का केंद्रीय भाव है कि है सिद्ध कीजिए
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Answer: इस पाठ में लेखक ने मानव द्वारों अपने स्वार्थ के लिए किये गए धरती पर किये गए अत्याचारों से अवगत कराया है। पाठ में बताया गया है की किस तरह मानव की न मिटने वाली भूख ने धरती के तमाम जीव-जन्तुओं के साथ खुद के लिए भी मुसीबत खड़ी कर दी है।
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मनष्ुयता कधवता - मानव केत्याग, बधलिान, मानवीय एकता, सहानिुधूत, सद्भाव, उिारता, करुर्ा
आधि पर बल िेती है|
अब कहाँिसूरेकेिखु सेिखु ी होनेवालेपाठ का प्रधतपाद्य - मानव और प्रकृधत केसामजं स्य,
मानव और प्रकृधत केअन्य जीविाररयों केमध्य सामजं स्य धजसकेअतं गित सहानिुधूत, सद्भाव,
उिारता, प्रेम, त्याग और करुर्ा पर बल धिया गया है|
ऊपर धिए गए सिी गर्ु - मनष्ुयत्व केगर्ु हैं|
उिारता, करुर्ा, सद्भाव, सहानिुधूत गर्ुों पर िोनों पाठ आिाररत ह
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