मनुष्यता कविता और अब कहाँ दूसरे के दुख से दुखी होने वाले पाठ का केद्रीय भाव एक ही है। सिद्व कीजिए।
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- मनुष्यता कविता में और पाठ अब कहां दूसरों के दुख से दुखी होने वाले का केंद्रीय भाव केवल यही है कि हमें सबको समान दृष्टि से देखना चाहिए और यदि वे संकट में हो तो उनकी सहायता करनी चाहिए, परोपकार करना चाहिए।♡~
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