मनुष्यता कविता और अब कहां दूसरे के दुख से दुखी होने वाले पाठ का केंद्रीय भाव है कि है सिद्ध कीजिए
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मनुष्यता मनुष्यता कविता और अब कहां दूसरों के दुख में दुखी होने पाठ का केंद्रीय भाव यह है किहमें सबको समान दृष्टि से देखना चाहिए। और और यदि वह संकट में हो तो हमें उनकी सहायता करनी चाहिए, परोपकार करना चाहिए।
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