मन्त्राणां पादपूर्तिं कुरुत-(मन्त्रों की चरण पूर्ति कीजिए-)
(क) समानो मन्त्रः समितिः समानी ………………………………..
……………………………….. संमानेन वो हविषा जुहोमि॥
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समानो मन्त्रः समितिः समानी समानं मनः सहचित्तमेषाम्।
समानं मन्त्रमभिमन्त्रये वः समानेन वो हविषा जुहोमि।।
अर्थात- इन (मिलकर कार्य करने वालों) का मन्त्र समान होता है अर्थात ये परस्पर मंत्रणा करके एक निर्णय पर पहुँचते हैं, चित्त सहित इनका मन समान होता है। मैं तुम्हें मिलकर समान निष्कर्ष पर पहुँचने की प्रेरणा (परामर्श) देता हूँ, तुम्हें समान भोज्य प्रदान करता हूँ।
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