Hindi, asked by CɾαȥყSσυL, 1 month ago

मनुवाँ तो दहुँ दिसि फिरै' कबीरदास कि इस उक्ति से
आपने क्या समझा ?¿

Answers

Answered by ThePious
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  • इस मुहावरे में कबीरदास ऐसा कहना चाहते हैं, जब हम भगवान का माला पहन रहे हैं तो हमें समस्या से मुक्ति मिल रही है। जब हम समस्या में होते हैं तो माल्या की पंखुड़ियां आजादी पाने में मदद करती हैं.इसलिये  हर समस्या का हल है। हमें किसी समस्या से नहीं डरना चाहिए।
Answered by rohitsingh9014
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Explanation:

पाठ की तीसरी साखी-जिसकी एक पंक्ति हैं 'मनुवाँ तो दहुँ दिसि फिरै, यह तो सुमिरन नाहिं' के द्वारा कबीर क्या कहना चाहते हैं? उत्तर:- कबीरदास जी इस पंक्ति के द्वारा यह कहना चाहते हैं कि भगवान का स्मरण एकाग्रचित होकर करना चाहिए। इस साखी के द्वारा कबीर केवल माला फेरकर ईश्वर की उपासना करने को ढोंग बताते हैं।

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