Hindi, asked by ishwaratil0180, 8 months ago

मनुवॉ दुहूँ दिसी फिरे यह तो सुमिरन ना ही इस पंक्ति का आशय स्पष्ट कीजिए​

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Answered by achintyaagg2010
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Answer:

मनुवाँ तो दहूँ दिसि फिरै, यह तौ सुमिरन नाहिं' इस पंक्ति के माध्यम से कबीर ने कहना चाहा है कि हमारा मन भक्ति के समय यदि दसों दिशाओं की ओर घूमता रहता हैं, ईश्वर के स्मरण मैं एकाग्रचित्त नहीं होता तो ऐसी भक्ति व्यर्थ है।

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