Hindi, asked by adityayada067, 4 months ago

मनोयोग का संद्धि विच्छेद क्या होगा​

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Answered by sirmoharmeena1983
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संधि बनाने का नियम : यदि (:)विसर्ग के पहले ‘अ’ रहे और उसके बाद य, र , ल, व या ह रहे या फिर किसी भी वर्ग का तृतीय, चतुर्थ, या पंचम वर्ण आए तो विसर्ग का ‘उ’ हो जाता है फिर यही उ पूर्ववर्ती ‘अ’ से मिलकर गुणसंधि के माध्यम से ”ओ’ हो जाता है |

मनोयोग में कौन-सी संधि है ? | Type of Sandhi: विसर्ग संधि (Visarg Sandhi)

उच्चारण नियम :

अ = a जैसे – रमण (Ramana), वर(Vara), धर(Dhara), कर्म(Karma), सम्यक्(Samyak) |

आ(aa) = ā जैसे – राम(Rāma), श्याम(shyāma), वाक्(Vāk),धरा(Dharā), धारा(dhārā) कर्मा(Karmā), इच्छा(Ichchhā) |

उ = u जैसे – सद्गुण(Sadguna), उत्तम(Uttama), उपरम(Uparama), उक्ति(Ukti), उत्सव(Utsava), गुरु(Guru) |

ऊ(oo) = ū जैसे – भूमि(Bhūmi), सूची(sūchī), सूर्योदय(Sūryodaya), ऊर्जा(Ūrjā), ऊष्मा( Ūshmā), गुरू(Gurū) |

इ = i जैसे – इंदु(Indu), बिंदु(Bindu), अवनि(Avani), अविचल(Avichala), इत्र(Itra), इतर(Itar), शिव(Shiva) |

ई(ee) = ī जैसे – ईप्सा(Īpsa), भीम(Bhīm), एकांगी(Ekangī), चीनी(chīnī), नीति(Nīti), दीक्षा(dīksha), सीता(Sīta) |

⇒संधि के नियमों को अच्छी प्रकार से समझने के लिये ऊपर दिए गए उदाहरणों को जान लेने पर संधि विच्छेद के नियमों को समझने में बहुत आसानी होगी | हिंदी में वर(Var) शब्द और संस्कृत में वर(Vara) शब्द लिखा जाता है | वर शब्द में र हिंदी में केवल R है परन्तु संस्कृत में वर शब्द में र को ra लिखा जाता है | हिंदी में वर(var) के र में अ(a) गुप्त है परन्तु संस्कृत में वर(vara) के र(ra) अ(a) प्रकट है |संधि विच्छेद में महा+उत्सव(Maha+Utsav)= मनोयोग समझ में आसानी से आ जाता है परन्तु नर+इंद्र(Nar+Indra) आसानी से समझ में नहीं आता क्यूंकि नर में न्+अ+र्+अ स्पष्ट समझ में आता है परन्तु अग्रेजी अक्षरों में Nar को समझना कठिन हो जाता है क्यूंकि नर के र में अ(a) गुप्त है, इसलिए संधि को सरलता से समझने के लिये संस्कृत को आधार मानकर चलना होगा तभी समझने में आसानी होगी |

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