मणिपुर की लोक कथा का चित्र के साथ वर्णन हिंदी में
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मणिपुरी भाषा (मेइतेइ) का साहित्य समृद्ध है और मणिपुरी साहित्य का लिखित अस्तित्व अष्टम शताब्दी से ही प्राप्त होता है। १९७३ से आज तक ३९ मणिपुरी साहित्यकारों को साहित्य अकादमी पुरस्कारों से सम्मानित किया गया है। मणिपुरी साहित्य में वैष्णव भक्ति तथा मणिपुर की कला / संस्कृति झलकती है। कहानी, उपन्यास, काव्य, प्रवास वर्णन, नाटक आदि सभी विधाओं में मणिपुरी साहित्य ने अपनी पहचान बनाई है। मखोनमनी मोंड्साबा, जोड़ छी सनसम, क्षेत्री वीर, एम्नव किशोर सिंह आदि मणिपुरी के प्रसिद्ध लेखक हैं।
मणिपुरी साहित्य की यात्रा १९२५ में फाल्गुनी सिंह द्वारा मीताई तथा बिष्णुप्रिया मणिपुरी भाषा की द्बिभाषिक सामयिकी ”जागरन” के प्रकाशन के रूप में आरम्भ हुआ। इसी समय और भी कई द्बिभाषिक पत्रिकाएँ प्रकाशित हुईं। इनमें "मेखली"(१९३३), "मणिपुरी" (१९३८), क्षत्रियज्योति (१९४४) इत्यदि अन्यतम हैं।
बांग्ला लिपि में लिखी जाने वाली मणिपुरी को विष्णुप्रिया मणिपुरी भी कहा जाता है जो मेइतेइ भाषा से अलग है।