मनकी उतप्त वेदना, मन ही मन में बहती थी। चुप रहकर अंतर्मन में, कुछ मौन व्यथा कहती थी।। दुर्गम पथ पर चलने का, वह संभल छूट गया था । अविचल, अविकल वह प्राणी, भीतर से टूट गया था।। इन पंक्तियों में कौन सा रस है? *
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करुण
शांत
वात्सल्य
वीर
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karun ras
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upar diye gaye words main man ki vyatha ke bare main batlaya gaya h ishliye yahan karun ras hoga
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