मनलिखित पति को पदकर प्रो के उतर दीविर शेख साहब न्यायप्रिय आदनी याइन्होने रसीला को छह महीने की सजा सुनाट्री और स्मार मुंह पोटाशयह वहीस्मालया जिसनो स्रू दिन पहले किसी ने हज़ार रुपये बांधकर लिये ये 1) परन प्र.का शेख साहब का परिचय दीजियान्यायजियशद में निहित व्यंग स्पष्ट कीजिय। प्र-खासील कौन था ?उसे दंडित यो जिव श्याालझेप में लिखौ। प्र.(ग) लेखक ने इस समय समाप के असणा का स्लेश क्यों किया? स्पष्ट लिखो
Answers
Answer:
वह सोचता, ”यहाँ इतने सालों से हूँ। अमीर लोग नौकरों पर विश्वास नहीं करते पर मुझपर यहाँ कभी किसी ने संदेह नहीं किया। यहाँ से जाऊँ तो शायद कोई ग्यारह-बारह दे दे, पर ऐसा आदर नहीं मिलेगा।”
उपर्युक्त वाक्य के वक्ता का परिचय दें।
उत्तर:
उपर्युक्त वाक्य का वक्ता इंजीनियर बाबू जगतसिंह का नौकर रसीला है। वह सालों से इंजीनियर बाबू जगतसिंह के यहाँ नौकर है।
प्रश्न क-ii:
निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए :
वह सोचता, ”यहाँ इतने सालों से हूँ। अमीर लोग नौकरों पर विश्वास नहीं करते पर मुझपर यहाँ कभी किसी ने संदेह नहीं किया। यहाँ से जाऊँ तो शायद कोई ग्यारह-बारह दे दे, पर ऐसा आदर नहीं मिलेगा।”
रसीला बार-बार किससे, कौन-सी और क्यों प्रार्थना करता था?
उत्तर :
रसीला इंजीनियर बाबू जगतसिंह का नौकर था। वह सालों से इंजीनियर बाबू जगतसिंह के यहाँ नौकर था। उसे दस रूपए वेतन मिलता था। गाँव में उसके बूढ़े पिता, पत्नी, एक लड़की और दो लड़के थे। इन सबका भार उसी के कंधों पर था। इसी कारण वह बार-बार अपने मालिक इंजीनियर बाबू जगतसिंह से अपना वेतन बढ़ाने की प्रार्थना करता था।
प्रश्न क-iii:
निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए :
वह सोचता, ”यहाँ इतने सालों से हूँ। अमीर लोग नौकरों पर विश्वास नहीं करते पर मुझपर यहाँ कभी किसी ने संदेह नहीं किया। यहाँ से जाऊँ तो शायद कोई ग्यारह-बारह दे दे, पर ऐसा आदर नहीं मिलेगा।”
वेतन की बात पर इंजीनियर बाबू जगतसिंह का जवाब क्या होता था?