Hindi, asked by drsingh5824421, 8 months ago

मनसा, वाचा कर्मणा च परेषाम् उपकार: परोपकारः कथ्यते। संसारे यत् अचेतसः सन्ति, ते अपि उपकाररताः
सन्ति। नद्यः परोपकाराय वहन्ति, वृक्षाः परोपकारार्थमेव फलन्ति। यः परोपकारं करोति, तस्य मानसं पवित्रं, सरसं
सदयं च भवति। परोपकारिणः अन्येषां कष्टं मत्वा तन्नाशाय चेष्टन्ते। महापुरुषाः सर्वदा परोपकारम् एव कुर्वन्ति। Translate into Hindi​

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मनसा वाचा कर्मणा

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हदों का ख्याल

अब तो हद हो गई। यह क्या बात हुई कि कोई उनकी जिंदगी के फैसले भी लेने लगे। सोच-सोचकर परेशान थे वह। ‘हम किसी भी हाल में हों, लेकिन दूसरों को अपने पर हावी नहीं करना चाहिए। हर चीज की एक सीमा होती...

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नैसर्गिक हंसी

दूसरों पर हंसना जितना सरल है, स्वयं पर हंसना उतना ही कठिन। हरेक हंसी नैसर्गिक नहीं होती। कई बार उसमें अंतर्निहित भाव खुलकर अभिव्यक्त नहीं हो पाते। उन्मुक्त हंसी जहां आनंद का विकल्प बन कुछ क्षणों के...

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हमारा लालच

टीवी पर एक फिल्म चल रही थी- अवतार। जेम्स कैमरून की इस फिल्म में चिंतन और बोध की कई चीजें मिलीं। इसमें हमारे भीतर मौजूद ‘लालच की प्रवृत्ति’ का एक नए तरीके से मूल्यांकन मौजूद है। इस फिल्म...

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हम सब अस्पृश्य

एक पंडितजी गांधीजी से मिलने सेवा ग्राम आश्रम पहुंचे। आश्रम के लोगों ने गांधीजी से उनका परिचय कराते हुए बताया कि पंडितजी ने शास्त्रों का अच्छा अध्ययन कर रखा है। गीता  व अन्य ग्रंथों पर प्रवचन...

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जागृत करुणा

महाकवि भवभूति के उत्तररामचरित  में एक वाक्य है- निकटे जागत्र्ति जाह्नवी, अर्थात नजदीक में ही गंगा जाग रही है। जैसे नदी को कभी नींद नहीं आती, वह सदा गतिमय रहती है, वैसे ही दुख और विपत्ति के...

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विचारों का विकास

हर युग में कुछ प्रतिभाशाली, क्रांतिकारी लोग अवश्य होते हैं, जो नया विचार पैदा करते हैं। नए विचार देने वाले लोग अपने समय से आगे होते हैं। इस प्रक्रिया से मनुष्य की चेतना विकसित होती है। लेकिन फिर युग...

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जो हुआ, सो हुआ

देर रात उनकी नींद खुल गई। खुद को उन्होंने यादों से घिरा हुआ पाया। वह सोचते रहे कि ये यादें पीछा क्यों नहीं छोड़तीं? इस सिलसिले में ऐमी मॉरिन ने एक खूबसूरत बात कही। ‘अपने अतीत को स्वीकार लो, अपने...

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सुबह सवेरे उठिए

सुप्रसिद्ध शिक्षाविद रिचर्ड वॉटले ने कहा है, ‘सुबह एक घंटा ज्यादा सोते हुए गंवा दिया, तो फिर उसकी भरपाई आप दिन भर नहीं कर पाते।’ ज्यादातर कलाकार, साहित्यकार और बुद्धिजीवी सुबह की वेला को...

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समस्याओं से उबरना

उसकी परीक्षा की तैयारी ठीक नहीं थी। वह परेशान था। इसके पहले भी वह दो बार फेल हो चुका था। उसने पिता से अपनी समस्या बताई। पिता पेशे से रसोइया थे। वह बेटे को रसोई में ले गए और पानी से भरे तीन बर्तनों को...

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शरीर की भाषा

हमारे अस्तित्व का आधार हमारा शरीर ही है, और मन की तरह शरीर की भी एक जागृत सत्ता है। मानव शरीर की सभी इंद्रियां बेहद संवेदनशील हैं। इसलिए मन के साथ उनका तालमेल होना बहुत जरूरी है। हम अगर अपने शरीर की...

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बिना पेंदी का पात्र

क्या आपने कभी सोचा कि जिंदगी में जितना भी मिल जाए, आपको संतोष नहीं होता? मन कभी भरता नहीं, और अधिक की मांग बनी रहती है। ओशो इस संदर्भ में एक मार्मिक कहानी सुनाते हैं, ‘मुल्ला नसीरुद्दीन के पास...

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ये तो मौके हैं

अपनी कुरसी में धंस से गए थे वह। ‘अब तो झेला नहीं जा रहा। सांस लेने की फुरसत नहीं। इतने दबाव में कोई कैसे काम कर सकता है?’  कुछ इसी तरह के हालात पर कभी कोबी ब्रायन्ट ने कहा था,...

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खुशी के लिए

यह सही है कि पुरानी आदतें आसानी से नई आदतों को पनपने नहीं देतीं। आपके अच्छे विचार और अच्छे कार्यक्रम मैदान छोड़ सकते हैं और ऐसा करने के लिए आपको हालात मजबूर भी कर सकते हैं। सवाल है कि क्यों जरूरी है,...

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सपने जरूर देखिए

केवल सपने देखना भले ही समाज को नागवार गुजरता हो, लेकिन सपनों की सीढ़ियां चढ़ लक्ष्य भेदने की बात भी उतनी ही सत्य है। स्वप्न के बीज पर ही वस्तुत: कर्म के फल लगते हैं। संसार की किसी भी बड़ी उपलब्धि का...

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अभय होना

अभय होना जिंदगी का एक अनिवार्य तत्व है, पर हम इससे दूर हैं। इसे हम जीवन-मूल्य की तरह नहीं लेते, नतीजतन डर-डरकर जीते हैं और जीते हुए भी जीवन से दूर हो जाते हैं।  सुकरात के जीवन से हमें एक सीख...

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दो हाथों की ताली

मनुष्य की यह बड़ी खूबी है कि वह स्वर्ग लोक या बैकुंठ लोक की तरह पृथ्वी पर अपना एक परिवार लोक गढ़ लेता है। शुरू में तो इस परिवार में माता-पिता, भाई-बहन, पत्नी-पुत्र-पुत्री होते हैं, पर धीरे-धीरे उसका यह...

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मैत्री भावना

धरती पर कोरोना वायरस का जो संकट आया है, उसके पीछे एक गहरा कारण है, मनुष्य में मैत्री भाव का अभाव। मैत्री न केवल मनुष्य की मनुष्य से, बल्कि पूरे पर्यावरण के साथ हमारा मैत्री संबंध खो गया है। इसीलिए...

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पूरे मन से किया क्या

वह बेचैन आत्मा है। इसे तो गुरु ने महसूस किया। कहीं जाना चाहता था वह। अपने गुरु से इजाजत भी ले ली थी। लेकिन बहुत देर से वहीं मंडरा रहा था। अंदर-बाहर हो रहा था। इस बार जब वह अंदर आया, तो कन्फ्यूशियस ने...

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सबसे अहम विश्वास

एक बार भयंकर अकाल पड़ा, बारिश न होने से खेत सूख गए, पशु मर रहे थे। लोग व्याकुल हो ईश्वर को पुकार रहे थे, जगह-जगह यज्ञ, प्रार्थना का आयोजन हो रहा था। इसी कड़ी में शहर से दूर एक मंदिर के प्रांगण में...

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हर पल को जीना सीखें

बचपन में हममें से बहुत सारे लोगों ने रेत के घर बनाए होंगे, कंचे खेले होंगे, बरसात के पानी में कागज की किश्तियां तैराई होंगी, कागज के हवाई जहाज उड़ाए होंगे। छोटी-छोटी खुशियों के ये लम्हे ताउम्र हमारी...

Answered by shinglesapan
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