manav Jeevan me Bhasha kya Mahatv hai?
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hello!
manav jeevan main bhasha ka bada mahatv hain.bhasha se hi ham ek doosre se baat kar sakte hain apne bhav prakat kar sakthe orr hamari mange poori kar sakthe hain.is duniya main bhut sare bhashaye hain. agar bhasha nahi hoti toh fir ham manushy bhi janvar ki tarah kisi vichitr aavaz lena padthi thi.
भाषा हमारे विचारों के संप्रेषण का महत्त्वपूर्ण माèयम है, जिसका जन्म सदियों पूर्व हुआ। मौखिक भाषा तक पहुँचने की प्रक्रिया अत्यंत लंबी रही है। भाषा के द्वारा ही हम किसी दूसरे व्यकित के भावों, विचारों के साथ-साथ उसकेव्यकितत्व व पारिवारिक-पृष्भूमि का परिचय प्राप्त करते हैं। भाषा के महत्त्व को मनुष्य ने लाखों वर्ष पूर्व पहचान कर उसका निरंतर विकास किया है। जब व्यकित कोर्इ बात मुँह से उच्चरित करता है या उसे लिखकर अभिव्यक्त करता है तो उसकी भाषा में उसके अंतरंग भावों के साथ-साथ उसका राज्य, वर्ग, जातीयता और प्रांतीयता भी कौंध्ती है। इस कौंध् का संबंध् व्यकित की मानवीय संवेदना और मानसिकता से भी है। जिस व्यकित के जीवन का उíेश्य और मानसिकता कमतर स्तर की होगी, उसकी भाषा के शब्द और उनके मुख्यार्थ, व्यंग्यार्थ भी क्षुद्र स्तर के होंगे, जबकि उन्नत मानसिक संवेदना वाले व्यकित की भाषा भी स्वस्थ और संस्कारी होगी। यशस्वी साहित्यकार श्री नरेश मेहता के अनुसार- ''जिसका जितना जीवन का सू़क्ष्म प्रयोजन हेागा, उसे उतनी ही सूक्ष्म, विकसित या संस्कारी भाषा की आवश्यकताहोगी। अत: भाषा का संस्कारित होना अनिवार्य प्रक्रिया है। स्वस्थ मन:सिथति को अनुÂत भाषा अभिव्यक्त नहीं कर सकती। उदाहरण के लिए- ''मानवीय स्वत्व ही कल्पतरू है, I hope this will help you