Hindi, asked by saquib3257, 1 year ago

manav jivan me khelo ka mahtva

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Answered by abhishek1657
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खेलों का महत्व पर निबंध – इंसान के लिए अच्छी सेहत का होना बहुत जरूरी है एक स्वस्थ शरीर से ही अच्छे मतिष्क का निर्माण होता है। शरीर को स्वस्थ्य रखने में खेल कूद और व्यायाम एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

खेलों के द्वारा तन और मन दोनों ही स्वस्थ रहते हैं खेलों से मानव में धैर्य सहनशीलता और मानवीय गुणों का विकास होता है। खेल सभी के व्यस्त जीवन में एहम भूमिका अदा करता है ख़ास कर छात्र जीवन में। इसीलिए हमें सभी को दिन का कुछ समय खेल कूद के लिए निकालना चाहिए। खेलों से तंदरुस्ती के इलावा हमारा अच्छा ख़ासा मनोरंजन भी हो जाता है। इनसे खिलाड़ी में आत्म निर्भर होने की भावना उत्पन्न होती है। खेल खेलते समय वह अपने शरीर के लिए ही नहीं खेलता बल्कि उसकी हार -जीत पूरी टीम की हार और जीत है।
इसीलिए स्वस्थ शरीर और मष्तिष्क के लिए हम सभी को किसी न किसी तरह की शरीरक गतविधि में जरूर भाग लेना चाहिए जिनमें से खेल एक अच्छा तरीका है। खेल खेल में शरीर को उर्जा मिलती है और मानसिक शक्ति में भी वृद्धि होती है। क्योंकि स्वस्थ और रिष्ट-पुष्ट शरीर में ही एक सुंदर मस्तिष्क का वास होता है।

विद्यार्थी जीवन में तो खेलों का विशेष महत्व है बहुत से छात्र तो खेलों के दम पर ही उंचे उंचे पदों को हासिल कर लेते हैं। छात्र देश के युवा है , वे खेल गतिविधियों के द्वारा ज्यादा अनुशासित , बलवान और स्वस्थ और आसानी से किसी भी विपरीत परिस्थिति का सामना कर सकते हैं। खेलों में निरंतर भाग लेते रहना आसानी से चिंता , घबराहट और तनाव को दूर करने में मदद करता है।

इसीलिए ये कहने में संकोच नहीं होगा के खेल जीवन के लिए अत्यंत जरूरी हैं, जीवन में शिक्षा के इलावा खेलों में भी रूचि बहुत जरूरी है शिक्षा संस्थाओं की भी जिम्मदारी बनती है के वह छात्रों को खेलों का महत्व समझाए और खेल कूद की व्यवस्था करें।


Answered by anjalibhagat43
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Answer:

विद्यार्थी जीवन में खेलों का महत्व

मनुष्य के लिए अच्छे स्वास्थ्य का होना अत्यंत आवश्यक है । एक स्वस्थ शरीर में ही स्वस्थ मस्तिष्क होता है । दूसरे शब्दों में, स्वस्थ मस्तिष्क के लिए स्वस्थ शरीर का होना अनिवार्य है । रुग्ण शरीर, रुग्ण मानसिकता को जन्म देता है ।

वैदिक काल से ही हमारे पूर्वजों ने ‘निरोगी काया’ अर्थात् स्वस्थ शरीर को प्रमुख सुख माना है । खेल अथवा व्यायाम स्वस्थ शरीर के लिए अति आवश्यक हैं अर्थात् शरीर को स्वस्थ रखने के लिए खेल अथवा व्यायाम की उतनी ही आवश्यकता है जितनी कि जीवन को जीने के लिए भोजन व पानी की ।

विद्यार्थी जीवन मानव जीवन की आधारशिला है । इस काल में आत्मसात् की गई समस्त अच्छी-बुरी आदतों का मानव जीवन पर स्थाई प्रभाव पड़ता है । अध्ययन के साथ-साथ व्यायाम मनुष्य के सर्वांगीण विकास में सहायक है । विद्यार्थी जो अपनी पढ़ाई के साथ खेलों को बराबर का महत्व देते हैं वे प्राय: कुशाग्र बुद्‌धि के होते हैं ।

विद्यार्थी जीवन में पढ़ाई के साथ – साथ खेलों का क्या महत्व है और खेल हमारे विद्यार्थी जीवन में किस हद तक लाभदायक है।

खेल प्रत्येक व्यक्ति के जीवन का एक हिस्सा है और यह उतना ही जरूरी है जितना शरीर के लिए भोजन। जिस प्रकार शरीर को नई ऊर्जा देने के लिए भोजन की जरूरत पड़ती है उतना ही ऊर्जा और ताजगी खेल शरीर को देते हैं। विद्यार्थी जीवन में मानसिक बोझ और शारीरिक थकान को हलका करने का एक साधन है तो वह है खेल और यह खेल हमारे शारीरिक क्रिया कलापों से जुड़े हो यह बेहद जरूरी है। क्यों कि आज यदि मनोरंजन की बात आती है तो केवल मोबाइल और कम्प्यूटर को मुख्य साधन माना जाता है जिनसे एक अकेला व्यक्ति भी अपना मनोरंजन कर सकता है। लेकिन यह मनोरंजन केवल हमारे दिमागी थकान को कुछ समय के लिए तो दूर कर देते हैं लेकिन इनसे हमें शरीर और मन में जो ऊर्जा मिलनी चाहिए थी वह नहीं मिल पाती है। आपने कभी गौर की हो तो कि जब हम मोबाइल या कम्प्यूटर पर लगातार ज्यादा समय तक लगें रहते हैं तो जैसे ही हम उनसे दूर होते हैं तो हमें कुछ अलग सा महसूस होता है और एक मायूसी सी घेर लेती है जिससे हमारा मन पढ़ाई में भी नहीं लग पाता इसका कारण यही होता है कि हमें अपने दिमाग और शरीर को भी नई ऊर्जा और स्फूर्ति की जरूरत पड़ती है और उसके लिए हमारे शरीर के क्रिया कलापों से जुड़े खेल बहुत जरूरी है । क्यों कि मोबाइल, कम्प्यूटर से हमारे शरीर को वह ताजगी नहीं मिल पाती है। इसलिए खेल हमारे सम्पूर्ण विकास का एक अहम हिस्सा है जिनसे हम अपने दिन भर की थकान को नई ऊर्जा में बदल सकते हैं। इतना ही नहीं खेल हमें अपने जीवन में कर्तव्यों और हमारे अंदरूनी हुनर को हमारे सामने रखते हैं जिनसे हमारे अंदर एक नया जोश नई उमंग पैदा होती है।

आज हम देखते हैं कि प्रत्येक विद्यार्थी अपनी पढ़ाई को लेकर एक मानसिक तनाव से गुजर रहा है इतना ही नहीं वह इस तनाव की वजह से स्वयं को ज्यादा समय तक पढ़ाई से जोड़ भी नहीं पाता है और एक किताबी कीड़ा बना रहता है, जिससे विद्यार्थी एक अलग सा ऊबाउपन महसूस करता है जिससे कि एक ही चीज़ को बार बार पढ़ लेने के बाद भी वह दिमाग में नहीं बैठ पाती है। तो इसका साफ कारण हमारी मानसिक थकान ही है। और उस थकान और तनाव को दूर करने के लिए हमें बहुत जरूरी है खेलों से जुड़े रहना। स्वयं के लिए समय का कुछ हिस्सा निकाला जाये जिससे हम अपना मनोरंजन कर सकें और मनोरंजन का मुख्य साधन शारीरिक गतिविधियों से संबंधित खेल ही हो।

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