Biology, asked by jainayikon59661, 10 months ago

Manav sarir me kanduk khallika sandhi kahan pai jati hai

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Answered by sidharth56
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Answer:

संधि या जोड़ (जर्मन: Gelenke, फ्रेंच: Articulations, अंग्रेज़ी: Joints) शरीर के उन स्थानों को कहते हैं, जहाँ दो अस्थियाँ एक दूसरे से मिलती है, जैसे कंधे, कुहनी या कूल्हे की संधि।[1] इनका निर्माण शरीर में गति सुलभ करने और यांत्रिक आधार हेतु होता है। इनका वर्गीकरण संरचना और इनके प्रकार्यों के आधार पर होता है।[

Explanation:

शरीर में विशेषकर तीन प्रकार की संधियाँ पाई जाती हैं: अचल संधि, अर्धचल संधि तथा चल संधि।

अचल संधि संपादित करें

इन संधियों में अस्थियों के संधिपृष्ठों का संयोग हो जाता है। दोनों अस्थियों के बीच कुछ भी अंतर नहीं होता। इस कारण अस्थियों के संगम स्थान पर किसी प्रकार की गति नहीं हो पाती। दोनों अस्थियाँ तंतु ऊतक द्वारा आपस में जुड़ी रहती हैं। इन संधियों में तीन श्रेणियाँ पाई जाती हैं :

(क) सीवनी (Sutures) में अस्थियाँ अपने कोरों द्वारा आपस में मिली रहती हैं। यह केवल कपालास्थियों में पाया जाता है।

(ख) दंतमूलसंधि (Gomphosis) में एक अस्थि का नुकीला भाग दूसरी अस्थि के भीतर प्रविष्ट रहता है जैसे हनु में लगे दाँत,

(ग) तांतव सांध (Syndesmosis) में अस्थियों के पृष्ठ अस्थ्यांतरिक स्नायु के द्वारा आपस में जुड़े रहते हैं।

अर्धचल संधि संपादित करें

इन संधियों में अस्थियों के बीच में उपास्थि (cartilage) रहती है तथा गति कम होती है। इस श्रेणी में दो भेद पाए जाते हैं।

(क) उपास्थि संधि (Synchodrosis) में उपास्थि कुछ समय के बाद अस्थि में परिणत हो जाती है और अस्थियों के सिरे एक दूसरे के साथ पूर्णतया जुड़ जाते हैं। पश्चात्कपाल के तलभाग के बीच में इसी प्रकार की संधि होती है। इन संधियों में कुछ भी गति नहीं होती।

(ख) तंतूपास्थि संधि (symphysis) में अस्थियों के सिरों के बीच में रहनेवाली उपास्थि का शोषण नहीं होता। यह उपास्थि दोनों अस्थियों को एक दूसरे से मिलाए रहती है। उपास्थि के अतिरिक्त कुछ स्नायुएँ भी अस्थियों को जोड़े रहती हैं। इसी कारण इन संधियों में कुछ गति होती है। कशेरुकों के बीच की संधि इसी प्रकार की है।

चल संधियाँ संपादित करें

इन संधियों की गति अबाध होती है। इनमें निम्नलिखित विशेषताएँ पाई जाती हैं :

इन संधियों में गतियों की बहुरूपता, जिससे सब दिशाओं, दो दिशाओं, एक दिशा, या केवल अक्षों पर ही गति होती है;

संधि के भीतर स्थित अस्थियों का एक दूसरे से प्रत्यक्ष संपर्क नहीं होता;

संधि एक कोशिका द्वारा पूर्णतया आच्छादित रहती है, जिसमें दो स्तर होते हैं : (1) तंतु स्तर (fibrous layer) तथा (2) स्नेहक स्तर (Synovial layer);

स्नेहक स्तर संधि का भीतर से पूर्णतया ढक रहता है। केवल उपास्थियुक्त अस्थियों के सिरे को स्वतंत्र छोड़ देता है;

संधि के भीतर विवर (cavity) होता है, जो तंतु उपास्थि के एक गोल टुकड़े से पूर्णतया, अथवा अपूर्णतया, दो भागों में विभक्त रहता है;

कोशिका के बाहर स्नायु उपस्थित रहती हे, जो नीचे को टेढ़ बनाती है। संधियों में स्थित अर्ध एवं पूर्णचंद्राकार तंतूनास्थि से अस्थियों को धक्के से रक्षा होती है और यह दोनों अस्थियों के सिरों को आपस में रगड़ से बचाती है।

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