Hindi, asked by mantavya9121, 1 year ago

Manav Seva hi sachi Seva a short essay in hindi

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Answered by Jacksonja
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Answer:ईश्वर ने मानव को उत्तम ज्ञान वाला जीव बनाया है । मानव अपनी कार्यकुशलता से एक दूसरे को मदद करने में सक्षम रह पाते हैं। एक दिन की बात है। एक आदमी ने दुकानदार से पूछा केले और सेब क्या भाव लगाए हैं ?

केले ₹20 दर्जन और सेब ₹100 रू. किलो । उसी समय एक गरीब सी औरत दुकान में आई और बोली मुझे एक किलो सेब और एक दर्जन केले चाहिये । क्या भाव है ? भैया दुकानदार। केले 5 रूपये दर्जन और सेब 25 रूपये किलो। औरत ने कहा जल्दी से दे दीजिए।

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दुकान पर पहले से मौजूद ग्राहक ने आग बबूला हो गुस्से भरी निगाहों से घूरकर दुकानदार को देखा। इससे पहले कि वह कुछ कहता दुकानदार ने ग्राहक को इशारा करते हुए थोड़ा -सा इंतजार करने को कहा।

औरत खुशी-खुशी खरीदारी करके दुकान से निकलते हुए बड़बड़ाई। हे भगवान! तेरा लाख-लाख शुक्र है , मेरे बच्चे फलों को खाकर बहुत खुश होंगे।

दुकानदार और ग्राहक में बातचीत :

औरत के जाने के बाद दुकानदार ने पहले से मौजूद ग्राहक की तरफ देखते हुए कहा : ईश्वर गवाह है भाई साहब मैंने आपको कोई धोखा देने की कोशिश नहीं की। वह विधवा महिला है, जो चार अनाथ बच्चों की माँ है।

किसी से भी किसी तरह की मदद लेने को तैयार नहीं है। मैंने कई बार कोशिश की है और हर बार नाकामी ही मिली है। तब मुझे यही तरकीब सूझी कि जब कभी याद आए तो मैं उसे कम से कम दाम लगाकर चीजें दे दूँ। मैं यह चाहता हूँ कि उसका भ्रम बना रहे और उसे लगे कि वह किसी की मोहताज नहीं है।

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मैं इस तरह भगवान के बंदों की पूजा कर लेता हूँ। थोड़ा रुककर दुकानदार फिर बोला । यह औरत हफ्ते में एक बार आती है। भगवान गवाह है जिस दिन वह यहाँ आ जाती है , उस दिन मेरी बिक्री बढ़ जाती है। उस दिन परमात्मा मुझ पर मेहरबान हो जाते हैं।

ग्राहक स्नेहिल हो गए:

ग्राहक की आँखों में आँसू आ गए उसने आगे बढ़कर दुकानदार को गले लगा लिया और बिना किसी शिकायत के अपना सौदा खरीद कर खुशी-खुशी चला गया।

इस कहानी का सार : यह हुआ कि खुशी अगर बाँटना चाहो तो रास्ता खुद ब खुद मिल जाता है ,इसीलिए तो कहा गया है –

भलाई बांटने वाले कभी मोहताज नहीं होते ।

हर दुखों की दवा उसके पास ही होते ।।

तो दोस्तों यह मानव शरीर हम लोगों को जो मिला है , इसका बहुत बड़ा उद्देश्य है। वह उद्देश्य जन-कल्याण हेतु कार्य करने के लिए है। हमें हर समय हर पल दूसरे की भलाई के लिए ही सोचनी चाहिए।

हर बेसहारा को सहारा देनी चाहिए। ऐसे ही मानव ईश्वर का दूसरा रुप होते हैं अर्थात् उस मनुष्य का आत्मा एक दूसरे का भलाई करते – करते परम बन जाता है अर्थात् वह मनुष्य परमात्मा हो जाता है ।

परम आत्मा का उत्तम विचार और कार्य :

उस परमात्मा की भलाई को पाकर हर आत्मा कहते हैं हा हा हा मेरे लिए तो वही परमात्मा साबित हुए , जो एन वक्त पर मेरे लिए मदद करने को आ गए और हर तरह से मदद किए। इसका आशय यह हुआ की आत्मा उस कोयले में पड़ी हीरे की भाँति तरह है , जो आत्मा हर जीव में पाया जाता है लेकिन वही आत्मा को कोयले से सने हीरे की तरह अगर घस्ते जाते हैं।

सफाई करते जाते हैं तो वह एक चमकीला हीरा बन जाता है और वह बहुमूल्य हो जाता है, जिसका कीमत अच्छे-अच्छे चुका नहीं पाते, ठीक उसी प्रकार आत्मा से जब अच्छे-अच्छे काम कराए जाते हैं। हर जीव के सुख-दुख में भाग लेते ,लेते वह आत्मा परम बन जाता है ।

तो मेरे भाई, मेरे दोस्त!

इस बहुमूल्य जीवन को व्यर्थ जाने मत दें अपने शरीर से हर जीव का दुख, पीड़ा को समझने का कार्य करें। इसी में हमारी भी भलाई है।

कहा गया है , कर भला तो हो भला । ईश्वर की यह ऐसा तरकीब बना हुआ है कि अगर आप दूसरे का भलाई अगर सोचते भी हैं तो आपका ऑटोमेटिक भलाई हो जाता है ।

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वहीं अगर आप दूसरे का बुराई मन, विचार से सोचते भी हैं तो आपका बुराई स्वतः हो जाता है

इसलिए तो कहा गया है:

भला किसी का कर ना सको तो,

बुरा किसी का मत करना।

पुष्प नहीं बन सकते हो तो,

काँटे बनकर मत रहना।

बन ना सको भगवान अगर तुम,

कम से कम इंसान बनो।

नहीं कभी शैतान बनो,

नहीं कभी हैवान बनो।

सदाचार अपना ना सको तो,

पापों में पग मत धरना।

पुष्प नहीं बन सकते तो तुम,

काँटे बनकर मत रहना।

सत्य वचन ना बोल सको तो,

झूठ कभी भी मत बोलो।

मौन रहो तो ही अच्छा,

कम से कम विष तो मत घोलो।

बोलो यदि पहले ही तुम तोलो,

फिर मुँह को खोला करना।

घर ना किसी का बसा सको तो,

झोपड़िया ना जला देना।

मरहम पट्टी कर ना सको तो,

खार नमक ना लगा देना

दीपक बनकर जल ना सको तो

अंधियारा भी मत करना।

पुष्प नहीं बन सकते तो तुम,

काँटे बनकर मत रहना।

अमृत पिला सको ना किसी को,

जहर पिलाते भी डरना।

धीरज बँधा नहीं सकते तो,

घाव किसी को मत करना।

राम नाम की माला लेकर,

सुबह शाम भजन करना।

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