manav Seva hi Sachin Seva hai 250-350 words me
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से कहा, ‘मुझे एक सहायक की जरूरत है.’ राजा ने उनके पास दो कुशल युवकों को भेजा और कहा कि उनमें से जो ज्यादा योग्य लगे उसे अपने सहायक के रूप में रख लें. नागार्जुन ने दोनों की कई तरह से परीक्षा ली पर दोनों की योग्यता एक जैसी थी.
नागार्जुन दुविधा में पड़ गए कि आखिर किसे रखें. अंत में उन्होंने दोनों युवकों को एक पदार्थ दिया और कहा, ‘इसे पहचान कर कोई भी एक रसायन अपनी इच्छानुसार बनाकर ले आओ. हां, तुम दोनों सीधे न जाकर राजमार्ग के रास्ते से जाना.’
दोनों राजमार्ग से होकर अपने-अपने घर चले गए. दूसरे दिन दोनों युवक आए. उनमें से एक युवक रसायन बना कर लाया था जबकि दूसरा खाली हाथ आया था.
आचार्य ने रसायन की जांच की. उसे बनाने वाले युवक से उसके गुण-दोष पूछे. रसायन में कोई कमी नहीं थी. आचार्य ने दूसरे युवक से पूछा, ‘तुम रसायन क्यों नहीं लाए?’ उस युवक ने कहा, ‘मैं पहचान तो गया था मगर उसका कोई रसायन मैं तैयार नहीं कर सका. जब मैं राजमार्ग से जा रहा था तो देखा कि एक पेड़ के नीचे एक बीमार और अशक्त आदमी दर्द से तड़प रहा है. मैं उसे अपने घर ले आया और उसी की सेवा में इतना उलझ गया कि रसायन तैयार करने का समय ही नहीं मिला.’नागार्जुन ने उसे अपने सहायक के रूप में रख लिया.
दूसरे दिन राजा ने नागार्जुन से पूछा, ‘आचार्य! जिसने रसायन नहीं बनाया उसे ही आपने रख लिया.
ऐसा क्यों?’ नागार्जुन ने कहा, ‘महाराज दोनों एक रास्ते से गए थे. एक ने बीमार को देखा और दूसरे ने उसे अनदेखा कर दिया. रसायन बनाना कोई जटिल काम नहीं था. मुझे तो यह जानना था कि दोनों में कौन मानव सेवा करने में समर्थ हैं.
बीमार व्यक्ति चिकित्सक की दवा से ज्यादा उसके स्नेह और सेवा भावना से ठीक होता है, इसलिए मेरे काम का व्यक्ति वही है जिसे मैंने चुना है.’ इससे सीख मिलती है कि मानव सेवा ही सच्ची सेवा है.
manav seva hesache seva hai kuke manav he hame samajh sakta hai ham uske or vo hamare kam atai hai ek dusare ke madat karna he hamara dharm hai esse ham sabke dech pyar or bhaichara badtahai isliye bade bujurg kahan gaye hain ki hamen ek dusre ki madad Karti Rahi thi aur kabhi kisi ki madad karne se kabhi kisi Ko Na nahin kahana chahie kyunki madad karne se koi Insan Chhota nahin ho jata na hi to uska koi Jaat paat Chhota ho jata hai aur madad karne ke liye kisi ki bhi chat baat nahin dekhi jaati hai isliye hamen ek dusre ki madad karte rakhni chahie isliye Manav seva hi saccha Dharm hai isliye ham aap ekjut hokar is soch ko aage badhana chahie aur isko agali pidhi ke liye bhi ek acchi Sikh mile unhen is tarah se nibhaanaa chahie