Manavta aur Manav Manavta aur Manav ke bare mein 40 panktiyan
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Answer:शास्त्रों ने मनुष्य शव्द की व्युत्पत्ति के विषय में बताया है कि मनु से उत्पन्न मानव कहे जाते हैं। अमरकोष (मनुष्य वर्ग) में मनुष्या मानुषा मत्र्या मनुजा मानवा सः के आधार पर तथा ‘मनोर्जातास्तु मानवा‘ के अनुसार उक्त परिभाषा पुष्ट होती है। इसके साथ ही यह भी स्पष्ट किया गया है कि मनुष्य में रहने वाले दया, दान, शील, सौजन्य, धृति, क्षमा आदि के समवाय से लोकोपकारक धर्म को मानवता कहतें हैं। इसके विपरित गुण (तत्व) को पशुता अथवा दानवी धर्म कहा जाता है।
रूप को देख कर अयं मानवः (यह मनुष्य है) कहना ही पर्याप्त नहीं है। कुछ व्यक्ति ‘आकृतिग्रहणा जातिः‘ (व्याकरण भाष्य) के सिद्धान्त से मनुष्य के रूप, आकार प्रकार को देखकर उद्बुद्ध होने वाली जो मनुष्यत्व जाति है, उसी को मनुष्य शब्द का प्रयोजक धर्म कहते हैं, किन्तु व्यवहार में कोई किसी मनुष्य को देखकर कहता है कि यह मनुष्य है तो यहाँ पर मनुष्यत्व जाति मनुष्य शब्दार्थ प्रयोग का हेतु नहीं है बल्कि मनुष्य में रहने वाला यह एक असाधारण धर्म है जिसे ही हम मानवता कहते है जो सत्यवादी हो, तथा कृतज्ञ हो, ऐसे महापुरूष में रहने वाले धर्म-विशेष को ही मानवता कहा जाता है न कि समस्त पामरापामर में रहने वाले आकृत्या व्यड़ग्य मनुष्यत्व जाति में रहने वाले गुण धर्म को किसी मनुष्य विशेष के लिए मानवोऽयम् व्यवहार किया जाता है तो यह मनुष्य शब्द का लोक और शास्त्र उभयसम्मत अनन्त उज्ज्वल, स्वच्छ गुण विशिष्ट मनुष्य, यही अर्थ किया जाता है। मानव संबन्धी इन्हीं स्वच्छ गुणों को ‘मानवता‘ शब्द से अभिहित किया जाता है।