"manavta kisi desh se badi cheej hoti hh "
udahran sahit vichar prakat kijiye
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आजके इस भौतिक युग में यदि मनुष्य, मनुष्य के साथ अच्छा व्यवहार करना नहीं सीखेगा, तो भविष्य में वह एक-दूसरे का घोर विरोधी ही होगा। इसी कारण हर एक तरफ मानवता का गला दबाया जा रहा है। हर तरफ मानवता जैसे रो रही हो। विश्व का एेसा कोई कोना नहीं बचा है, जहां हर रोज किसी धर्म के नाम पर राजनीति हो। हर तरफ ना जाने कितने लाखों लोग बेघर हो रहे है और कितने ही मासूम बच्चे अनाथ हो रहे है। वर्तमान में धार्मिकता से रहित आज की यह शिक्षा मनुष्य को मानवता की ओर ले जाकर दानवता की ओर लिए जा रही है। ये प्रवचन मुनि विनय कुमार आलोक ने अणुव्रत भवन सेक्टर-24 में दिए। मुनि ने कहा कि मानवता ही इंसान का सबसे बड़ा धर्म है।
प्रेम से दिल जीतना ही मानव की खासियत
मुनिने कहा कि हम परमात्मा को तो मानते हैं पर हम परमात्मा की बात को नहीं मानते। यदि हम अपने जीवन में परमात्मा को मानने लग जाये तो जीवन का कल्याण हो जाये। उन्होनें बताया कि हमें मोह का त्याग करना चाहिए मोह का त्याग एक बार यदि हो जाये तो जीवन महान बन जाएगा। मानव को कोई भी चीज क्रोध से नहीं प्रेम से जीतनी चाहिए और क्रोध को क्रोध से नहीं बल्कि क्षमा से जीतना चाहिए। जो व्यक्ति क्षमा को धारण करके राता है वह महान बन जाता है। इसमें हमें प्रेम भाव के साथ रहना चाहिए।
चंडीगढ़. प्रभुकी कथा एक सेतु के समान है जो हमें प्रभु के लीला जगत में पहुंचाने का काम करती है जिस प्रकार हाथ की ताली बजाने से मूंडेरे पर बैठा पक्षी उड़ जाता है ठीक उसी प्रकार कथा रसपान से मन के संदेह रूपी पक्षी उड़ जाते हैं। परन्तु जिस प्रकार ताली एक हाथ से नहीं बजती, वैसे ही कथा की महानता सिर्फ वष्ठता पर नहीं बल्कि एक योग्य श्रोता पर भी निर्भर करता है। ये प्रवचन साध्वी मनस्विनी भारती ने शिव कथा में दिए। कथा का आयोजन दिव्य ज्योति जागृति संस्थान की ओर से श्री शीतला माता मंदिर मनीमाजरा में किया गया। प्रभु राम ही गंगा के सदृश हैं जिसमें गोता लगाने से जीवन पावन हो सकता है। जैसे गंगा मां किसी के साथ भेदभाव नहीं करती, सभी को पावन कर देती है, वैसे ही प्रभु की कथा रूपी गंगा में भी डुबकी लगाकर नीच से नीच प्राणी भी श्रेष्ठ बन जाता है।
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