Hindi, asked by mohammedbasim6997, 10 months ago

Manbhavan sawan poem by sumitranandan panti​hindi makrand man bhavan savan question answers

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Answered by SURYANSHUGUPTA
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वह मिट्टी की खुशबू वह फूलों के उपवन,

वह सतरंगी तितली वह भौंरों की गुनगुन,

फिर ढूंढ लाओ जाकर वह मनभावन सावन।

वह फैनी के लच्छे वह पूङों की पक-बन,

वह शंकर की भक्ति वह गौरी का पूजन,

वह मेहंदी के पत्ते वह भांग की घोटन,

फिर ढूंढ लाओ जाकर वह मनभावन सावन।

वो ढोलक की थापों पर दादी का गायन,

ठुनकता ठुमकता वह अल्हड़-सा बचपन,

कमरे में छिपकर वह घुंघरू वह नर्तन,

फिर ढूंढ लाओ जाकर वह मनभावन सावन।

वह अमवा की डाली पर रस्सी की उलझन,

वह झूले की मस्ती और सहेली से अनबन,

वह दो पल की कट्टी हमेशा का बंधन,

फिर ढूंढ लाओ जाकर वह मनभावन सावन।

वह फूलों के गहने वह हल्दी वह चंदन,

वह नाजुक से हाथों में छोटा सा दर्पण,

वह गुड़िया के मेले में जाने की बन-ठन,

फिर ढूंढ लाओ जाकर वह मनभावन सावन।

वह चूल्हे की रोटी वह मिट्टी के बर्तन,

भले हाथ गंदे थे दिल तो थे पावन,

वह ऊँचे विचारों का सादा-सा जीवन,

फिर ढूंढ लाओ जाकर वह मनभावन सावन

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Answered by 9090909082
4

Here You Go!

Hoping that it's the correct poem.

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