मञ्जूषातः पदानि गृहित्वा पत्रम् पूरयत
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Answer: हम हिंदी भाषा में ने, को, के लिए का, में , पर आदि परसर्ग का प्रयोग करते हैं। यह परसर्ग शब्द से अलग रहते हैं किंतु संस्कृत भाषा में उसी अर्थ को दर्शाने के लिए विभिन्न शब्दों का प्रयोग किया जाता है।
•संस्कृत भाषा में कोई भी शब्द अपने मूल रूप में वाक्य में प्रयुक्त नहीं होता है। वाक्य प्रयोग के समय उसमें रूपांतर आता है उसी को शब्द रूप कहते हैं। जैसे - छात्रः - एक छात्र, छात्रम् - छात्र को , छात्रेण - छात्र द्वारा, छात्राय - छात्र के लिए, छात्रात् - छात्र से , छात्रे - छात्र में / पर इत्यादि।
•संस्कृत में संबोधन को छोड़कर सात विभक्तियां , 3 लिंग एवं तीन वचन होते हैं ।
विभक्तियां -प्रथमा(ने), द्वितीया(को) , तृतीया(के द्वारा), चतुर्थी(के लिए) ,पंचमी(से अलग), षष्टी( का/के/की), सप्तमी(मे,पे,पर) , संबोधनम्(हे/अरे) ।
•कारक को प्रकट करने के लिए शब्द के साथ जो प्रत्यय जोड़ा जाता है उसे विभक्ति कहते हैं।
(क) विधयालये
ख उद्यानेपु
ग। गडगाय।म्
घ पुप्पेपु
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