Mannu bhandari short story do kalakar in hindi
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दो कलाकार में माननए भंडार ने दो पात्रों, अरुणा और चित्रा के माध्यम से कलाकारों की विभिन्न संवेदनशीलता को दर्शाया है। दोनों कॉलेज में छः साल तक पढ़ती हैं । जहाँ चित्रा पूरी तरह अपने काम और पढाई पर केंद्रित होती है, अरुणा पढाई के साथ-साथ सामाजिक सेवा के कामों में अपना पूरा योगदान देती है। पढाई के अंत में चित्रा आगे पढ़ने के लिए विदेश जाने का निश्चय करती है। दोनों सखियाँ उदास हैं कि छह साल तक साथ रहने के बाद अब वह अलग कैसे रहेंगी। अंतिम दिन चित्रा का जाने का समय होता है पर वह देर से आती है। पूछने पर वह कहती है कि रास्ते में जब वह आ रही थी तो उसने देखा कि बूढी भिखारिन जो अपने दो बच्चों के साथ बैठती थी वह मर गयी थी और वह उसका चित्र बनाने लगी थी। जल्दी से वह अपनी यात्रा के लिए निकल पड़ती है। समय व्यतीत होता गया और चित्रा एक बहुत प्रसिद्ध कलाकार बन गयी। उसकी भिखारिन वाली तस्वीर ने उसको अत्यधिक प्रसिद्धि दी। शुरू-शुरू में तो दोनों सहेलियां एक दूसरे के बारे में खबर ले लेती थी पर समय के साथ वह भी छूट गयाचित्र कुछ सालों बाद वापिस भारत आती है और उसके चित्रों की प्रदर्शनी लगती है। वहीँ पर दोनों एक दूसरे को देख कर हैरान रह जाती हैं। अरुणा के साथ दो बच्चे थे और पूछने पर उसने कहा कि वे उसके बच्चे हैं। जब वह भिखारिन वाले चित्र के समीप आते हैं तो दोनों बच्चे रोने लगते हैं। चित्रा जब कारण पूछती है तो अरुणा बोली कि वे इसलिए रो रहे थे कि उन बच्चों कि माँ उनके साथ नहीं है। प्रदर्शनी की समाप्ति पर अरुणा बच्चों को उनके पिता के साथ भेज देती है और उन्हें कहती है कि वो चित्रा के साथ बाजार से कुछ सामान लेकर पहुंचेगी। रास्ते में चित्रा फिर से बच्चों के बारे में पूछती है तो अरुणा बोली कि जो बच्चे उसके चित्र में थे वही उसके बच्चे हैं।
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दो कलाकार, मन्नू भंडारी जी द्वारा लिखी गयी प्रसिद्ध कहानी है . जिसमें उन्होंने दो लड़कियों का चित्रण किया है और एक सच्चे कलाकार की पहचान पर प्रकाश डाला गया है . प्रस्तुत कहानी में दो प्रमुख पात्र है - अरुणा और चित्रा . दोनों ही बहुत घनिष्ठ मित्र है .
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