Mannu bhandari short story do kalakar in ndi summary
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एक कहानी यह भी पुस्तक में लेखिका मन्नू भंडारी ने अपने लेखकीय जीवन की कहानी उतार दी हैं। यह उनकी आत्मकथा तो नहीं है, लेकिन इसमें उनके भावात्मक और सांसारिक जीवन के उन पहलुओं पर भरपूर प्रकाश पड़ता है जो उनकी रचना-यात्रा में निर्णायक रहे। एक ख्यातनामा लेखक की जीवन-संगिनी होने का रोमांच और एक जिद्दी पति की पत्नी होने की बाधाएँ, एक तरफ अपनी लेखकीय जरूरतें (महत्त्वाकांक्षाएँ नहीं) और दूसरी तरफ एक घर को सँभालने का बोझिल दायित्व, एक मधुर आम आदमी की तरह जीवन की चाह और महान उपल्ब्धियों के लिए ललकता, आसपास का साहित्यिक वातावरण—ऐसा कई-कई विरोधाभासों के बीच से मन्नूजी लगातार गुजरती रहीं, लेकिन उन्होंने अपनी जिजीविषा, अपनी सादगी, आदमीयत और रचना-संकल्प को नहीं टूटने दिया। आज भी जब वे उतनी मात्रा में नहीं लिख रही हैं, ये चीजें उनके साथ हैं, उनकी सम्पत्ति हैं। यह आत्मस्मरण मन्नूजी की जीवन-स्थितियों के साथ-साथ उनके दौर की कई साहित्यिक-सामाजिक और राजनीतिक परिस्थितियों पर भी रोशनी डालता है और नई कहानी दौर की रचनात्मक बेकली और तत्कालीन लेखकों की ऊँचाइयों-नीचाइयों से भी परिचित करता है। साथ ही उन परिवेशगत स्थितियों को भी पाठक के सामने रखता है जिन्होंने उनकी संवेदना को झकझोराl
Thanks ;)
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