MANSHI PREMCHAND ki jivan ka prichy in HINDI
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प्रेमचन्द जी ने एक अध्यापक के रूप में कर्म-क्षेत्र में प्रवेश किया। इसी पद पर कार्य करते-करते इन्होंने एफ०ए० और बी०ए० की परीक्षाएँ उत्तीर्ण की। प्रेमचन्द जी कुछ समय तक शिक्षा विभाग में सब-डिप्टी इन्स्पेक्टर भी रहे; किन्तु देशप्रेमी होने के कारण इस सरकारी पद की अधिक समय तक शोभा नहीं बढ़ा सके। इनके दो विवाह हुए थे। इन्होंने मारवाड़ी विद्यालय कानपुर और काशी विद्यापीठ के प्रधानाध्यापक के पद पर भी कार्य किया। यहाँ से त्याग-पत्र देकर स्वतन्त्र रूप से साहित्य-लेखन में प्रवेश किया। इन्होंने ‘मर्यादा’, ‘माधुरी’, ‘जागरण’, ‘हंस’ आदि पत्रिकाओं का सम्पादन किया। 8 अक्टूबर, सन् 1936 ई० को मुंशी प्रेमचन्द जी का निधन हो गया।
जीवन-परिचय –
उपन्यास सम्राट् मुंशी प्रेमचन्द का जन्म वाराणसी के निकट लमही ग्राम में कायस्थ परिवार में सन् 1880 ई० में हुआ था। इनके पिता का नाम श्री अजायबराये और माता का नाम आनन्दी देवी थी।बचपन में प्रेमचन्द को पिता धनपतराय के नाम से और चाचा नवाबराय के नाम से पुकारते थे। इनका विद्यार्थी जीवन आर्थिक स्थिति कमजोर होने के कारण ठीक प्रकार से व्यतीत नहीं हुआ। हाईस्कूल परीक्षा उत्तीर्ण करने के बाद इण्टरमीडिएट परीक्षा में पहली बार असफल हो जाने के कारण इनका विद्यार्थी-जीवन यहीं पर समाप्त हो गया।