English, asked by munnasingh18979, 7 months ago

manushya Jeevan mein prakriti ka mahatva ispar lekh

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Answered by anvichopra
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एक समय था जब मानव अपने आरम्भिक काल में जीवन जीने के लिए संघर्ष कर रहा था. प्रकृति के साथ उनके सामजस्य ने उनके ज्ञान नेत्र खोल दिए वह नया नया ज्ञान पाने लगा. उसने पेड़ों की छाल व पत्तों का त्याग कर अपने लिए वस्त्रों का निर्माण किया. अन्धकार से जीवन को बाहर निकालने के लिए रोशनी का आविष्कार किया.

पेड़ों को उगाना अनाज फल सब्जियां फिर सवारी के लिए पशुओं का उपयोग धातु का आविष्कार यंत्रों का निर्माण और इस तरह व प्रकृति की छत्रछाया में अपने ज्ञान को फलीभूत करता गया और नयें नयें साधनों के जरिये अपने जीवन के स्तर को बढाता गया.

मनुष्य के द्वारा इन तमाम नई चीजों के आविष्कार की जननी प्रकृति ही थी. वे समस्त साधन उसी के आस-पास मौजूद थे. इसी कारण कहा जाता है कि प्रकृति ही सबसे बड़ी गुरु है उनकी गोद में बैठकर जो ज्ञान पाया जा सकता है वो किसी विद्वान् के पास भी नहीं होता हैं.

प्राचीन समय में ऋषि मुनि तथा साधू तपस्या तथा ज्ञानार्जन के लिए वनों में ही अपनी कुटिया बनाकर रहा करते थे. प्रकृति के बीच रहकर ही वे सत्य की प्राप्ति कर पाते थे. शिक्षा के मुख्य स्रोत गुरुकुल भी जंगलों में ही हुआ करते थे. कवियों तथा कथाकारों के ह्रदय ने काव्य का भाव जगाने वाली यही प्रकृति हैं.

जब तक मानव प्रकृति के सानिध्य में रहा वह उनके रहस्यों को जानता गया. मगर आज हमने प्रकृति को अपनी दासी बना दिया है जो हमारी सभी जरूरतों को पूरा करे मगर अपने इस अमर्यादित आचरण के चलते आज कुदरत का अनुशासन भी भंग हो रहा हैं. जिसका नतीजा हम सभी के समक्ष है.

प्रकृति और मनुष्य मित्र है  |

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