Manushya ka jivan thoda he , usme khone ke liye samay nahi
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कि जीवन अमूल्य है इस जीवन को वैसे ही नहीं खोना चाहिए। इस जीवन का सोने-उठने, खाने-पीने में ही समापन नहीं होना चाहिए। जब तक हवा और पानी अपनी मर्यादा में हैं तब तक ही जीवन अमृत तुल्य है और जब हवा और पानी अपनी मर्यादा तोड़ दें तो यही जीवन में विष के समान बन जाएगा
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