manushya ka mukhya Kartavya kya hai
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अतः प्रत्येक मनुष्य को वेदों का स्वाध्याय कर ईश्वर के स्वरूप को जानना और ईश्वर के वेद वर्णित गुणों से ईश्वर की स्तुति, प्रार्थना व उपासना जिसे हम सन्ध्या व ध्यान भी कह सकते हैं, इसे प्रतिदिन प्रातः व सायं करना प्रथम व मुख्य कर्तव्य है। जो ऐसा करते हैं वह भाग्यशाली है और जो नहीं करते उन्हें इसे अवश्य ही करना चाहिये।
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