manushya ki Pragati Mein sahari Jindagi Ke kanhi do Lakshnon ki parkh kijiye
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पुस्तके मनुष्य की प्रगति की साथी है।
जीवों में मनुष्य की अलग पहचान का मुख्य कारण इसकी भाषा है। भाषा की अभिव्यक्ति का माध्यम मौखिक के बाद लिखित बना। यह भाषा के साथ साथ मनुष्य की प्रगति का सूचक था।
मनुष्य पाषाण काल से ही गुफाओं की दीवारों पर चित्र बनाकर अपने विचारों की अभिव्यक्ति करता रहा है। जैसे जैसे मानव का विकास हुआ उसने ताड़पत्रों पर लिखना सीखा। चीन में ईसा के 200 वर्ष पूर्व रेशम से एक प्रकार का कागज तैयार किया गया। अरबों मे माध्यम से यह तरीका यूरोप पहूंचा और जर्मनी में पहली बार 14वी सदी में अच्छी किस्म का कागज तैयार किया गया।
जर्मन वैज्ञानिक जोहन्नेस गुटेनबर्ग ने 1454 में छापाखाना मशीन का आविष्कार कर प्रथम पुस्तक दि इण्डलजेन्स आफ निकोलस फिफथ को छापा।
प्रसिद्ध विद्वान विल ड्यूरा ने लेखन कला के बाद मुद्रण कला को ही इतिहास का सबसे बड़ा आविष्कार माना। इस प्रकार से स्पष्ट है कि लेखन का विकास मनुष्य की प्रगति का सूचक है।
पुस्तकें मनुष्य के ज्ञान के विकास और उसके संचय का सबसे बड़ा माध्यम है। आज के इलेक्ट्रानिक युग में भी पुस्तकों की अपनी उपयोगिता में कोई कमी नहीं आई है और पुस्तकों का महत्व अपनी जगह बरकरार है। इस प्रकार कहा जा सकता है कि पुस्तकें ही मानव की प्रगति की सूचक है और मानव को ज्ञानशील प्राणी बनायें रखने में सहायक है। यदि पुस्तकें नहीं होती तो शायद , न हमारा ज्ञान बढता और न ही हम अपने इतिहास को जान पातें।
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