manushya Swayam Apne Bhagya ka Nirmata hai . write essay on it in hindi ..
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इस तरह से यह कहा जा सकता है की मनुष्य अपने भाग्य का स्वयं निर्माता है।
दुनिया में मनुष्य के आगे असंभव कुछ भी नहीं है।
आदमी के अच्छे या बुरे होने का निर्धारण स्वयं उसके कर्म करते हैं।
व्यक्ति कर्म करने में स्वतंत्र है। स्वतंत्र किसको कहते हैं, जो अपनी इच्छा से काम करे
या दूसरे के दबाव से काम करे? जो अपनी इच्छा से काम करे, वह स्वतंत्र है।
तो आपका भविष्य पहले से कोई कैसे लिख देगा? अगर पहले से लिखा है, और वही होना
है, तो आप परतंत्र हो गए। सच तो यह है कि आप जब चाहे, अपनी योजना बदल सकते हैं,
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