Hindi, asked by rs1508693, 8 months ago

manushyata kawita mai manushya or pashu mai kya antar hai​

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Answered by digvijay49
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Answer:

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Explanation:

कवि के अनुसार ऐसे मनुष्यों एवं पशुओं में कोई अंतर नहीं होता है, क्योंकि पशु भी दूसरों के बारे में सोचे बिना केवल अपने हित के बारे में सोचते हैं और वैसे ही जीवन-यापन करते हैं। ... वही मनुष्य है कि जो मनुष्य के लिए मरे।

Answered by franktheruler
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मनुष्यता कविता में कवि मैथिलीशरण गुप्त ने मनुष्य और पशु में कोई अंतर नही बताया है

  • " मनुष्यता " कविता में मैथिलीशरण गुप्त कहते है कि मनुष्य और पशु में कोई अंतर नहीं है क्योंकि पशु किसी की चिंता किए बिना घास चरता है उसे सिर्फ अपनी चिंता होती है, वह दूसरों के बारे में नहीं सोचता।
  • कवि के अनुसार मनुष्य को पशु के समान बर्ताव नहीं करना चाहिए। मनुष्य को दूसरो के बारे में भी सोचना चाहिए। उस परोपकारी होना चाहिए।
  • कवि कहते है कि मनुष्य की श्रेणी पशुओं से उच्च है अतः मनुष्य को सतत प्रयास करना चाहिए कि वह किस प्रकार दूसरो की सहायता कर सकता है ।
  • केवल खाते रहना व बच्चे जनना यह पशु वृत्ति होती है इंसान को इससे आगे बढ़ना है व उच्च विचार रखने है।
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