manushyata par poem likhe
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विचार लो कि मर्त्य हो न मृत्यु से डरो कभी,
मरो परन्तु यों मरो कि याद जो करे सभी.
हुई न यों सु–मृत्यु तो वृथा मरे¸वृथा जिए,
नहीं वहीं कि जो जिया न आपके लिए.
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