Hindi, asked by Devyadav1099, 10 months ago

manushyata poem ke question answer don't dare to spam

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Answered by Anonymous
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प्रश्न 1 -: कवि ने कैसी मृत्यु को समृत्यु कहा है?

उत्तर-: कवि ने ऐसी मृत्यु को समृत्यु कहा है जिसमें मनुष्य अपने से पहले दूसरे की चिंता करता है और परोपकार की राह को चुनता है जिससे उसे मरने के बाद भी याद किया जाता है।

प्रश्न 2 -: उदार व्यक्ति की पहचान कैसे हो सकती है?

उत्तर -: उदार व्यक्ति परोपकारी होता है, वह अपने से पहले दूसरों की चिंता करता है और लोक कल्याण के लिए अपना जीवन त्याग देता है।

प्रश्न 3 -: कवि ने दधीचि, कर्ण आदि महान व्यक्तिओं के उदाहरण दे कर 'मनुष्यता ' के लिए क्या उदाहरण दिया है?

उत्तर -: कवि ने दधीचि, कर्ण आदि महान व्यक्तिओं के उदाहरण दे कर 'मनुष्यता ' के लिए यह सन्देश दिया है कि परोपकार करने वाला ही असली मनुष्य कहलाने योग्य होता है। मानवता की रक्षा के लिए दधीचि ने अपने शरीर की सारी अस्थियां दान कर दी थी,कर्ण ने अपनी जान की परवाह किये बिना अपना कवच दे दिया था जिस कारण उन्हें आज तक याद किया जाता है। कवि इन उदाहरणों के द्वारा यह समझाना चाहता है कि परोपकार ही सच्ची मनुष्यता है।

प्रश्न 4 -: कवि ने किन पंक्तियों में यह व्यक्त किया है कि हमें गर्व - रहित जीवन व्यतीत करना चाहिए?

उत्तर -: कवि ने निम्नलिखित पंक्तियों में गर्व रहित जीवन व्यतीत करने की बात कही है-:

रहो न भूल के कभी मगांघ तुच्छ वित्त में,

सनाथ जान आपको करो न गर्व चित्त में।

अर्थात सम्पति के घमंड में कभी नहीं रहना चाहिए और न ही इस बात पर गर्व करना चाहिए कि आपके पास आपके अपनों का साथ है क्योंकि इस दुनिया में कोई भी अनाथ नहीं है सब उस परम पिता परमेश्वर की संतान हैं।

प्रश्न 5 -: ' मनुष्य मात्र बन्धु है ' से आप क्या समझते हैं ? स्पष्ट कीजिए।

उत्तर -: ' मनुष्य मात्र बन्धु है ' अर्थात हम सब मनुष्य एक ईश्वर की संतान हैं अतः हम सब भाई - बन्धु हैं। भाई -बन्धु होने के नाते हमें भाईचारे के साथ रहना चाहिए और एक दूसरे का बुरे समय में साथ देना चाहिए।

प्रश्न 6 -: कवि ने सबको एक होकर चलने की प्रेरणा क्यों दी है ?

उत्तर -: कवि ने सबको एक होकर चलने की प्रेरणा इसलिए दी है ताकि आपसी समझ न बिगड़े और न ही भेदभाव बड़े। सब एक साथ एक होकर चलेंगे तो सारी बाधाएं मिट जाएगी और सबका कल्याण और समृद्धि होगी।

प्रश्न 7 -: व्यक्ति को किस तरह का जीवन व्यतीत करना चाहिए ?इस कविता के आधार पर लिखिए।

उत्तर -: मनुष्य को परोपकार का जीवन जीना चाहिए ,अपने से पहले दूसरों के दुखों की चिंता करनी चाहिए। केवल अपने बारे में तो जानवर भी सोचते हैं, कवि के अनुसार मनुष्य वही कहलाता है जो अपने से पहले दूसरों की चिंता करे।

प्रश्न 8 -: ' मनुष्यता ' कविता के द्वारा कवि क्या सन्देश देना चाहता है ?

उत्तर -: 'मनुष्यता ' कविता के माध्यम से कवि यह सन्देश देना चाहता है कि परोपकार ही सच्ची मनुष्यता है। परोपकार ही एक ऐसा साधन है जिसके माध्यम से हम युगों तक लोगो के दिल में अपनी जगह बना सकते है और परोपकार के द्वारा ही समाज का कल्याण व समृद्धि संभव है। अतः हमें परोपकारी बनना चाहिए ताकि हम सही मायने में मनुष्य कहलाये।

Answered by parvathig159
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Explanation:

प्रश्न 1 -: कवि ने कैसी मृत्यु को समृत्यु कहा है?

उत्तर-: कवि ने ऐसी मृत्यु को समृत्यु कहा है जिसमें मनुष्य अपने से पहले दूसरे की चिंता करता है और परोपकार की राह को चुनता है जिससे उसे मरने के बाद भी याद किया जाता है।

प्रश्न 2 -: उदार व्यक्ति की पहचान कैसे हो सकती है?

उत्तर -: उदार व्यक्ति परोपकारी होता है, वह अपने से पहले दूसरों की चिंता करता है और लोक कल्याण के लिए अपना जीवन त्याग देता है।

प्रश्न 3 -: कवि ने दधीचि, कर्ण आदि महान व्यक्तिओं के उदाहरण दे कर 'मनुष्यता ' के लिए क्या उदाहरण दिया है?

उत्तर -: कवि ने दधीचि, कर्ण आदि महान व्यक्तिओं के उदाहरण दे कर 'मनुष्यता ' के लिए यह सन्देश दिया है कि परोपकार करने वाला ही असली मनुष्य कहलाने योग्य होता है। मानवता की रक्षा के लिए दधीचि ने अपने शरीर की सारी अस्थियां दान कर दी थी,कर्ण ने अपनी जान की परवाह किये बिना अपना कवच दे दिया था जिस कारण उन्हें आज तक याद किया जाता है। कवि इन उदाहरणों के द्वारा यह समझाना चाहता है कि परोपकार ही सच्ची मनुष्यता है।

प्रश्न 4 -: कवि ने किन पंक्तियों में यह व्यक्त किया है कि हमें गर्व - रहित जीवन व्यतीत करना चाहिए?

उत्तर -: कवि ने निम्नलिखित पंक्तियों में गर्व रहित जीवन व्यतीत करने की बात कही है-:

रहो न भूल के कभी मगांघ तुच्छ वित्त में,

सनाथ जान आपको करो न गर्व चित्त में।

अर्थात सम्पति के घमंड में कभी नहीं रहना चाहिए और न ही इस बात पर गर्व करना चाहिए कि आपके पास आपके अपनों का साथ है क्योंकि इस दुनिया में कोई भी अनाथ नहीं है सब उस परम पिता परमेश्वर की संतान हैं।

प्रश्न 5 -: ' मनुष्य मात्र बन्धु है ' से आप क्या समझते हैं ? स्पष्ट कीजिए।

उत्तर -: ' मनुष्य मात्र बन्धु है ' अर्थात हम सब मनुष्य एक ईश्वर की संतान हैं अतः हम सब भाई - बन्धु हैं। भाई -बन्धु होने के नाते हमें भाईचारे के साथ रहना चाहिए और एक दूसरे का बुरे समय में साथ देना चाहिए।

प्रश्न 6 -: कवि ने सबको एक होकर चलने की प्रेरणा क्यों दी है ?

उत्तर -: कवि ने सबको एक होकर चलने की प्रेरणा इसलिए दी है ताकि आपसी समझ न बिगड़े और न ही भेदभाव बड़े। सब एक साथ एक होकर चलेंगे तो सारी बाधाएं मिट जाएगी और सबका कल्याण और समृद्धि होगी।

प्रश्न 7 -: व्यक्ति को किस तरह का जीवन व्यतीत करना चाहिए ?इस कविता के आधार पर लिखिए।

उत्तर -: मनुष्य को परोपकार का जीवन जीना चाहिए ,अपने से पहले दूसरों के दुखों की चिंता करनी चाहिए। केवल अपने बारे में तो जानवर भी सोचते हैं, कवि के अनुसार मनुष्य वही कहलाता है जो अपने से पहले दूसरों की चिंता करे।

प्रश्न 8 -: ' मनुष्यता ' कविता के द्वारा कवि क्या सन्देश देना चाहता है ?

उत्तर -: 'मनुष्यता ' कविता के माध्यम से कवि यह सन्देश देना चाहता है कि परोपकार ही सच्ची मनुष्यता है। परोपकार ही एक ऐसा साधन है जिसके माध्यम से हम युगों तक लोगो के दिल में अपनी जगह बना सकते है और परोपकार के द्वारा ही समाज का कल्याण व समृद्धि संभव है। अतः हमें परोपकारी बनना चाहिए ताकि हम सही मायने में मनुष्य कहलाये।

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