Hindi, asked by bolivia89, 1 year ago

Manusya Prakriti Se Dheere Dheere Dur Hota ja raha hai in Hindi essay in short

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Answered by saanjanya
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मनुष्य परमात्मा की सर्वश्रेष्ठï रचना है तथा सबसे प्रिय रचना भी है। सबसे अधिक मनुज मोहि भाये। परमात्मा ने एक दृष्टिï से विचार करें तो मनुष्य के विकास व विकास के लिये यह बहुत सम्पन्न मनोरम संसार रचा है। रत्नगर्भा सुधा सुरभित बहु सम्पन्न मनोरम संसार रचना है। रत्नगर्भा ज्योतिस्फुर ग्रह नक्षत्रों से सुसज्जित दीपित यह नभ मण्डल, उत्तुंग पर्वत श्रेणियाँ, अनंत सलिला सरिताएं,  मुक्त पवन, ग्रीष्म वर्षा,शरद, हेमंत, शिशिर और बसंत धर्मी षडऋतु चक्र, कीट ,पतंग, खग, वन, मृग, पशु इत्यादि सब कुछ मनुष्य द्वारा विवेकपूर्ण उपयोग एवं उपभोग करने के लिये ही परमात्मा ने रचे हैं। सृष्टिï की रचयिता प्रकृति है। तथा प्रकृति के रचयिता व नियंता स्वयं परात्पर परमात्मा हैं। सूर्य, चन्द्रमा, सप्त विवर, सप्त स्वर्ग तथा भूलोक की रचना करने वाली  तथा इन्हें उनके अखण्ड काल चक्र एवं गुणधर्म में बांधने वाली आखिरकार कोई  न कोई शक्ति तो है ही जो अदृश्य, अरूप होकर भी  सदृश्य स्वरूपवत सृष्टिï का अविराम नियंत्रण करती रहती है। मनुष्य सभी चर-अचर प्राणियों से इसलिये श्रेष्ठï माना जाता है क्योंकि इसे ईश्वर ने विवेक की सम्पूर्ण मात्रा प्रदान की है। hope it is helpful
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