मरीजों की सेवा करना डॉक्टर का परम धर्म है
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एक चिकित्सक के लिए मरीजों की सेवा ही फर्ज और धर्म है। इस सेवा में किसी तरह की कोई कमी नहीं रहने दी जाती है। भरसक कोशिश होती है कि अपनी चिकित्सकीय सेवा के जरिये मरीजों को संतुष्ट करें। ... ऐसे में महामारी जैसे विषम स्थितियों में चिकित्सकों की और जिम्मेवारी बढ़ जाती है
एक चिकित्सक के लिए मरीजों की सेवा ही फर्ज और धर्म है। इस सेवा में किसी तरह की कोई कमी नहीं रहने दी जाती है। भरसक कोशिश होती है कि अपनी चिकित्सकीय सेवा के जरिये मरीजों को संतुष्ट करें। उक्त बातें सदर अस्पताल में पदस्थापित और कोरोना सैनिक के रूप में कार्य कर रहे डॉ. ए अहद ने कही। उन्होंने कहा कि इस आबो-हवा में जहां कोरोना वायरस का भय लोगों को सता रहा है। वहीं रात्त के वक्त किसी तरह की सूचना आने पर वैसे मरीज को देखने के लिए जाते हैं और उन्हें पूछताछ कर उन्हें आइसोलेशन में रहने की सलाह देते हैं। यह इसलिए जरूरी है कि यदि एक लोग मरीज निकल गया तो वह अपने परिवार के लोगों को तो चपेट में लेगा ही समाज के लोगों को भी धीरे-धीरे चपेट में ले लेगा। इसलिए इस रोग को देखने में किसी तरह की कोताही नहीं करते हैं। डॉ. अहद बताते हैं कि चूंकि वर्षों से सरकारी सेवा में मरीजों के लिए लगे हुए हैं। ऐसे में महामारी जैसे विषम स्थितियों में चिकित्सकों की और जिम्मेवारी बढ़ जाती है। विभाग ने कमोबेश सभी तरह के अन्य कार्यों को बंद कर कोरोना वायरस जैसे बीमारी के लिए संघर्ष में लग गई है तो हम चिकित्सकों का भी फर्ज है कि इस सेवा को बेहतर ढंग से करें ताकि किसी भी मरीज को किसी तरह की कोई परेशानी का सामना नही करना पड़े। इसलिए आइसोलेशन वार्ड में ड्यूटी के दौरान आने वाले संदिग्ध प्रत्येक मरीज को देखकर जरूरी सलाह देते हैं।
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