‘मरा नहीं वही की जो जिया ना आपके लए’ पंक्ति के माध्यम से कवि क्या कहना चाहता है?
मनुष्यता कविता के माध्यम से बाताईए
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मरा नहीं वही कि जो जिया न आपके लिए। वही मनुष्य है कि जो मनुष्य के लिए मरे॥ उस आदमी का जीना या मरना अर्थहीन है जो अपने स्वार्थ के लिए जीता या मरता है। जिस तरह से पशु का अस्तित्व सिर्फ अपने जीवन यापन के लिए होता है, मनुष्य का जीवन वैसा नहीं होना चाहिए।
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