मरूस्थल के विस्तार के कारणों का वर्णन करें।
Answers
Explanation:
मरुस्थलीकरण जमीन के खराब होकर अनुपजाऊ हो जाने की ऐसी प्रक्रिया होती है, जिसमें जलवायु परिवर्तन तथा मानवीय गतिविधियों समेत अन्य कई कारणों से शुष्क, अर्द्ध-शुष्क और निर्जल अर्द्ध-नम इलाकों की जमीन रेगिस्तान में बदल जाती है। अतः जमीन की उत्पादन क्षमता में कमी और ह्रास होता है।इसमें जलवायु परिवर्तन तथा मानवीय गतिवधियों समेत अन्य कई कारणों से शुष्क, अर्द्ध-शुष्क, निर्जल इलाकों की ज़मीन रेगिस्तान में बदल जाती है। इससे ज़मीन की उत्पादन क्षमता में ह्रास होता है। मरुस्थलीकरण से प्राकृतिक वनस्पतियों का क्षरण तो होता ही है, साथ ही कृषि उत्पादकता, पशुधन एवं जलवायवीय घटनाएँ भी प्रभावित होती हैं।वृष्टिछाया क्षेत्रबहाव अपनी नमी खो देता है। जिसके फलस्वरूप शुष्क वायु शिखर में दूसरी ओर के ढलानों पर बहने के साथ मिट्टी की नमी सोख लेती है तथा धरती को शुष्क बना देती है। इस प्रकार वहां रेगिस्तान बनने की प्रक्रिया शुरू हो जाती है।
मरुस्थलीकरण के प्राथमिक कारणों में अधिक चराई, अधिक खेती, आग में वृद्धि, पानी को घेरे में बन्द करना, वनों की कटाई, भूजल का अत्यधिक इस्तेमाल, मिट्टी में अधिक लवणता का बढ़ जाना और वैश्विक जलवायु परिवर्तन शामिल हैं.
खनन:
पश्चिमी राजस्थान में करीब 20 प्रमुख खनिजों और नौ अन्य खनिजों को निकाला जा रहा है। नब्बे प्रतिशत से अधिक खान मालिकों द्वारा खुली खदान प्रणाली के जरिए खनन कार्य किया जा रहा है। बाकी भूमिगत खानें हैं। खान क्षेत्रों का विस्तार हो रहा है। सन 2000 तक जैसलमेर जिले में 0.05 प्रतिशत और झुंझनू में 1.15 प्रतिशत क्षेत्र खानों के अन्तर्गत आ जाएगा।
औद्योगिक कचरा:
हाल के वर्षा में राजस्थान के औद्योगिक कचरे से भूमि और जल प्रदूषण की गम्भीर समस्या उत्पन्न हो गई है। जोधपुर, पाली और बलोत्रा कस्बों में कपड़ा रंगाई और छपाई उद्योगों से निकले कचरे को नदियों में छोड़े जाने से भू-तलीय और भूमिगत जल प्रदूषित हो गया है। इस तरह के प्रदूषित जल का सिंचाई के लिए इस्तेमाल किए जाने से जमीन भी खराब हो गई है।
हवा से मिट्टी का कटाव:
हवा से मिट्टी के कटाव का सबसे बुरा असर थार के रेतीले टीलों और रेत की अन्य संरचनाओं पर पड़ा है। मगर ध्यान से देखने से यह बात स्पष्ट हो जाती है कि पूर्व की रेतीली संरचनाएँ पश्चिम में पाई जाने वाली इसी तरह की संरचनाओं से कहीं अधिक स्थिर हैं। नई रेतीली संरचनाओं की आकृति हवा की रफ्तार और वर्षा की बूँदों के झुकाव पर निर्भर करती है।
पानी से कटाव:
नदियों से होने वाले जमीन के कटाव ने सौराष्ट्र और कच्छ के ऊपरी इलाकों में काफी बड़े क्षेत्र को प्रभावित किया है।
Explanation:
मरूस्थल के विस्तार के कारण:
मरुस्थलीकरण के प्राथमिक कारणों में अधिक चराई, अधिक खेती, आग में वृद्धि, पानी को घेरे में बन्द करना, वनों की कटाई, भूजल का अत्यधिक इस्तेमाल, मिट्टी में अधिक लवणता का बढ़ जाना और वैश्विक जलवायु परिवर्तन शामिल हैं। इसमें जलवायु परिवर्तन तथा मानवीय गतिवधियों समेत अन्य कई कारणों से शुष्क, अर्द्ध-शुष्क, निर्जल इलाकों की ज़मीन रेगिस्तान में बदल जाती है। इससे ज़मीन की उत्पादन क्षमता में ह्रास होता है। मरुस्थलीकरण से प्राकृतिक वनस्पतियों का क्षरण तो होता ही है, साथ ही कृषि उत्पादकता, पशुधन एवं जलवायवीय घटनाएँ भी प्रभावित होती हैं।