Hindi, asked by swaminaveen94, 8 months ago

मराठी के भक्त काबों के काव्य के आधार पर स्पष्ट कीजिए कि उनका समाज पर​

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Answered by aadesh1257
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काव्य का स्वरूप एवं भेद। महाकाव्य। खंडकाव्य। मुक्तक काव्य।mahakavya | khandkaawya |

kavya ka swrup or bhed

भाषा के माध्यम से जीवन की मार्मिक अनुभूतियों की कलात्मक अभिव्यक्ति को साहित्य कहा जाता है। साहित्य को मनोवेगों की सृष्टि भी माना जाता है। उसमें सहीतत्व: अर्थात सहिस्तस्य भवः साहित्यम ; का समावेश होता है।सामान्यत: यह अभिव्यंजना हमें गद्य और पद्य दोनों रूपों में मिलती है। पद्य को गद्य का प्रतिपक्षी रूप कहा जाता है। और यह छंदोबद्ध रचना के लिए ही प्रयुक्त होता है। गद्य और कविता का अंतर छंद लय और तूक आधार पर किया जाता है। कविता प्रायः पद्यात्मक और छंदबद्ध होती है। चिंतन की अपेक्षा इसमें भावों की प्रधानता होती है इसका उद्देश्य सौंदर्य की अनुभूति द्वारा आनंद की प्राप्ति करना होता है।

कविता को गद्य से ऊंची स्थिति प्राप्त है क्योंकि इसमें रचना के अंतर सौंदर्य का बोध होता है इस प्रकार काव्य( यहां पर काव्य का अर्थ कविता है) उस छंदोबद्ध एवं लयात्मक साहित्य रचना को कहते हैं जो श्रोता या पाठक के मन में भावात्मक आनंद की सृष्टि करती है। अपने व्यापक अर्थ में ‘काव्य’ से संपूर्ण गद्य एवं पद्य में रचित भावात्मक सामग्री का बोध होता है। किंतु संकुचित अर्थ में इसे कविता का पर्याय ही समझा जाता है केवल लए एवं तुक के आधार पर गद्य एवं पद्य का अंतर एक सीमा तक ही सच माना जा सकता है। कभी-कभी गद्य में भी कविता के गुण दृष्टिगोचर होते हैं तो दूसरी ओर लय और तुक के अभाव में छंदोबद्ध रचना भी नीरस प्रतीत होती है।

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कविता का आस्वादन इसके अर्थ – ग्रहण करने में निहित है। इसके लिए पहले कविता पंक्तियों का मुख्य अर्थ समझना आवश्यक है। मुख्य अर्थ समझने के लिए अन्वय करना आवश्यक होता है , क्योंकि कविता की वाक्य संरचना में प्राया शब्दों का वह करम नहीं होता जो गद्य में होता है। अतः अन्वय से शब्दों का परस्पर संबंध व्यक्त हो जाता है जिससे अर्थ स्पष्ट हो जाता है।

इस प्रक्रिया में शब्द के वाच्यार्थ के साथ-साथ उसमें निहित लक्ष्यार्थ और व्यंग्यार्थ भी स्पष्ट हो जाते हैं। कभी कभी – कभी कविता में ऐसे शब्दों का भी का भी प्राय प्रयोग करता है , जिसके स्थान पर उनके पर्याय नहीं रखे जा सकते। कभी-कभी एक शब्द के एकाधिक अर्थ होते हैं , और सभी उस प्रसंग में लागू होते हैं। कभी एक ही शब्द अलग-अलग अर्थों में एकाधिक बार प्रयुक्त होता है , कभी विरोधी शब्दों का प्रयोग भाव वृद्धि के लिए किया जाता है। और कभी एक ही प्रसंग के कई शब्द एक साथ आ जाते हैं। इस प्रकार के शब्दों की ओर ध्यान देना चाहिए और उनके अपेक्षित अर्थ जानने के प्रयास करने चाहिए।

काव्य के भेद

काव्य के मुख्यतः दो भेद होते हैं। श्रव्य काव्य और दृश्य काव्य। श्रव्य काव्य वह है जो कानों से सुना अथवा मुख से पढ़ा जाता है। दृश्य काव्य वह है जो अभिनय के माध्यम से देखा सुनाplz following and brianlest make sure जाता है जैसे नाटक एकांकी आदि।

श्रव्य काव्य के दो भेद होते हैं प्रबंध काव्य और मुक्तक काव्य। प्रबंध काव्य में कोई धारावाहिक कथा होती है। अर्थात किसी कथायुक्त श्रव्य को प्रबंध काव्य कहा जाता है। इसमें किसी घटना अथवा क्रिया का वर्णन काव्यात्मक रूप में होता है। जयशंकर प्रसाद की रचना ‘ कामायनी ‘ को इसका एक श्रेष्ठ उदाहरण माना जाता है। प्रबंध काव्य के अंतर्गत महाकाव्य , खंडकाव्य और आख्यान नीतियां आती है।

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