मरिया प्रथा कया हैं इस प्रथा के अनतर्गत मृतक के परिवार को समाज वालों को भोजन कराने में आने वाली किन समस्याओ का सामना करना पड़ता है
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मरिया प्रथा के अनुसार जब घर में किसी की मृत्यु हो जाती है तो घर में मृत्यु भोज का आयोजन करना आवश्यक है।
- यह प्रश्न मरिया पाठ से लिया गया है। इस पाठ के लेखक है परदेशी डॉ राम वर्मा जी।
- सिकुमार के पिता की मृत्यु हो गई थी व पंच चाहते थे कि मरिया प्रथा के चलते वे लोग भी मृत्यु भोज का आयोजन करे।
- सिकुमार की मां मृत्यु भोज नहीं करवाना चाहती थी क्योंकि उनका सामर्थ्य इतना खर्च करने का नहीं था परन्तु उनपर जोर भरा जा रहा था । यह बात सिकुमार की मां को अच्छी नहीं लगी।
- वह कह रही थी कि सभी पंचों के हाथ में मधुर का ग्लास है लेकिन इनको मृत्यु भोज करना है। यह कहते कहते वह रो पड़ती है। वह यह भी कहती है कि समाज चाहे कितना भी आधुनिक क्यों न हो जाए वह पुरानी परंपराओं को नहीं छोड़ सकता।
- इस घटना से यह स्पष्ट है कि चाहे लोग कितना भी पढ़ लिख जाए लेकिन समाज में व्याप्त कुरीतियों का विरोध कोई नहीं करता , जिन लोग समर्थ नहीं है उनसे मृत्यु भोज करवाना गरीब लोगो पर अत्याचार है।
#SPJ3
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