मरम से कबीर का क्या आशय है?
Answers
➲ ‘मरम’ से कबीर का आशय हाल यानि भाव से है।
कबीर कहते हैं...
हिंदू कहें मोहि राम पियारा , तुरक कहें रिहमाना।
आपस में दोऊ लरि मूए , मरम न कोऊ जाना।।
अर्थात... हिंदुओं को राम प्रिय हैं और मुस्लिम को रहमान यानि अल्लाह प्यारे हैं। दोनों अपनी-अपनी आस्था को सर्वश्रेष्ठ बताते हुए लड़ते रहते हैं। उनमें इस बात की लड़ाई रहती है कि कौन बड़ा है राम या रहमान। वह पूरे जीवन इसी लड़ाई को लड़ते-लड़ते मर जाते हैं, लेकिन वह वास्तव में उस ईश्वर के भाव को नही समझ पाते जिसके लिये वो जीवन भर लड़ते रहे।
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