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प्रश्न. ४ पत्रलेखन
(तुमचा अभ्यास कसा चालला आहे या विषयी परगावी असलेल्या वडिलांस पत्र लिहून
कळवा.)
Answers
Explanation:
बहुत से मनुष्य सोच सोच कर कि हमें कभी सफलता नहीं मिलेगी, तब हमारे विपरीत अपनी सफलता को अपने हाथों पीछे धकेल देते हैं| उनका मानसिक भाव सफलता और विजय के अनुकूल बनता ही नहीं तो सफलता और विजय कहां? यदि हमारा मन बहुत से मनुष्य सोच सोच कर कि हमें कभी सफलता नहीं मिलेगी, तब हमारे विपरीत अपनी सफलता को अपने हाथों पीछे धकेल देते हैं| उनका मानसिक भाव सफलता और विजय के अनुकूल बनता ही नहीं तो सफलता और विजय कहां? यदि हमारा मन संका और बहुत से मनुष्य सोच सोच कर कि हमें कभी सफलता नहीं मिलेगी, तब हमारे विपरीत अपनी सफलता को अपने हाथों पीछे धकेल देते हैं| उनका मानसिक भाव सफलता और विजय के अनुकूल बनता ही नहीं तो सफलता और विजय कहां? यदि हमारा मन संका और निराशा से भरा है तो हमारे कामों का परिचय भी निराशाजनक ही होगा, क्योंकि सफलता की, विजय की, उन्नति को कुंजी तो अभी चल श्रद्धा ही है से भरा है तो हमारे कामों का परिचय भी निराशाजनक ही होगा, क्योंकि सफलता की, विजय की, उन्नति को कुंजी तो अभी चल श्रद्धा ही है और निराशा से भरा है तो हमारे कामों का परिचय भी निराशाजनक ही होगा, क्योंकि सफलता की, विजय की, उन्नति को कुंजी तो अभी चल श्रद्धा ही है
Answer:
it is a answer and you are in st Peter's High school ?