Hindi, asked by LiaTheGamer, 15 days ago

मशीनी मानव के ऊपर दस लाईन का निबंद लिखिए​

Answers

Answered by mufiahmotors
0

Answer:

मनुष्य पाषाण काल से ही विकसित और रूपांतरित हुआ जब मनुष्य को अपनी मूलभूत आवश्यकताओं के लिए कड़ी मेहनत करनी पड़ी। यह विज्ञान और प्रौद्योगिकी का युग है। मनुष्य और मशीनें एक साथ प्रभावी और सटीक रूप से काम करती हैं।

मनुष्य मशीनों का आविष्कारक और संचालक है और दूसरी ओर मनुष्य अपने दिन-प्रतिदिन के जीवन में मशीनों पर भी अत्यधिक निर्भर है। हमारे दिन भर की अधिकांश गतिविधियाँ मशीनों की सहायता से की जाती हैं। इससे बहुत सारी ऊर्जा और समय की बचत होती है।

मनुष्य बनाम मशीन पर निबंध, man vs machine essay in hindi (200 शब्द)

दशकों से, मनुष्य कई अनोखे और संसाधनपूर्ण आविष्कार लेकर आया है। कंप्यूटर और मशीनों ने मनुष्य द्वारा पहले किए गए महत्वपूर्ण कार्यों को नियंत्रित करना और बदलना शुरू कर दिया है। हम कृत्रिम बुद्धिमत्ता पर अत्यधिक निर्भर हो गए हैं। हालांकि, यह व्यापक रूप से माना जाता है कि कृत्रिम बुद्धि मानव बुद्धि को प्रतिस्थापित नहीं कर सकती है, क्योंकि मनुष्य मशीनों का निर्माता है।

मानव मस्तिष्क लगातार और अधिक कुशलता से काम कर सकता है और बुद्धिमानी से किसी चीज का उपयोग कर सकता है। मनुष्य विभिन्न चीजों की अवधारणा को समझने, समझने, समझने में सक्षम है। मनुष्य नई चीजों को खोजने और बनाने के लिए उत्सुक हैं। मनुष्य बहु-प्रतिभाशाली हैं जबकि मशीनें नहीं हैं। कृत्रिम बुद्धि भी मानव मस्तिष्क द्वारा बनाई गई है और उनके कार्य सीमित हैं।

गति और सटीकता के मामले में मशीनें मनुष्य से श्रेष्ठ हैं। उदाहरण के लिए कैलकुलेटर गणना करने के लिए मानव दिमाग की तुलना में अधिक सटीक और तेजी से काम करते हैं। मानव मस्तिष्क किसी भी तरह की मशीन के कामकाज का कार्यक्रम करता है।

मानव मस्तिष्क स्वाभाविक रूप से अवलोकन, प्रयोग, सीखने और खोज के द्वारा विकसित होता है, लेकिन मशीनरी में सुधार केवल तभी संभव है जब इसका यांत्रिक मस्तिष्क मनुष्यों द्वारा रचा जाए। इसके अलावा, मशीनों में कोई भावनात्मक बुद्धि नहीं होती है। भावनाएँ मानव मस्तिष्क को विकसित करने में एक प्रमुख भूमिका निभाती हैं।

इस प्रकार, मशीनों की क्षमता सीमित है जबकि मनुष्य हमेशा अधिक से अधिक प्रयोग, निर्माण, आविष्कार और खोज कर रहे हैं।

Answered by jeon36491
10

Answer:

मशीनी वार के बीच जहां मानव श्रम बेकार हो रहा है लोग बेकार और बेरोजगार हो रहे हैं। अपने ही बनाये मशीनों के गुलाम होते जा रहे हैं हम। मशीनी युग में हम कठपुतली बन कर रह गये हैं और हमारी आंखों के सामने ही हमारे हिस्से का काम भी मशीन छीन ले जा रहा है और हम लाचार और बेवश बनकर रह से गये हैं।

Similar questions