मशीनी उद्योगों के युग से पहले अंतरराष्ट्रीय कपड़ा बाजार में भारत के रेशमी और सूती वस्त्रों का ही दबदबा क्यों रहता था
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औद्योगीकरण से पहले अंतर्राष्ट्रीय बाजार में भारत के सूती कपड़े की अच्छी मांग थी क्योंकि भारत के कपास की क्वालिटी महीन होती थी। ऐसे लोगों को गुमाश्ता कहा जाता था, जिनका काम था बुनकरों पर निगरानी रखना, माल का संग्रहण करना और कपड़े की क्वालिटी की जाँच करना। बुनकरों को अग्रिम कर्ज दिया जाता था।
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औद्योगीकरण से पहले अंतर्राष्ट्रीय बाजार में भारत के सूती कपड़े की अच्छी मांग थी क्योंकि भारत के कपास की क्वालिटी महीन होती थी। ऐसे लोगों को गुमाश्ता कहा जाता था, जिनका काम था बुनकरों पर निगरानी रखना, माल का संग्रहण करना और कपड़े की क्वालिटी की जाँच करना। ... बुनकरों को अग्रिम कर्ज दिया जाता था।
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