मशीनी युग का अर्थ एवं प्रभाव essay in hindi
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विकास के होड़ में आगे बढ़ने की जद्दोजहद के बीच मानव जाति ने जो आविष्कारों की झड़ी लगाई उसका एक भयावह पहलू अब सामने आ रहा है। मशीनी वार के बीच जहां मानव श्रम बेकार हो रहा है लोग बेकार और बेरोजगार हो रहे हैं। अपने ही बनाये मशीनों के गुलाम होते जा रहे हैं हम। मशीनी युग में हम कठपुतली बन कर रह गये हैं और हमारी आंखों के सामने ही हमारे हिस्से का काम भी मशीन छीन ले जा रहा है और हम लाचार और बेवश बनकर रह से गये हैं। विकास की होड़ में मानव जाति ने सफलता की बुलंदियों को छुआ। अपने लगन व मेहनत के बल पर हमने ऐसी मशीनों का ईजाद किया जिनके सहारे आज महीनों का काम दिनों में व दिन का काम घंटों में ही निपटा लिया जाता है। न तो अधिक मजदूरों की जरूरत ही रही और न ही समय की ही पाबंदी। दिन-रात का फर्क भी जैसे मिट सा गया। दिन हो या रात जब जी चाहे मशीन आन कीजिये और मशीन अलाउद्दीन के चिराग के जिन्न की तरह आपके आदेश का पालन करता ही चला जाएगा। मशीन जितने देर तक आन रहेगा बस उतनी ही देर उर्जा व डीजल खपत। अर्थात कोई फिजूलखर्ची भी नहीं और न ही मजदूरों के लाव लश्कर का झमेला ही। वर्तमान समय में बड़े कामों के अलावे छोटे-छोटे कामों में भी इन दैत्याकार मशीनों का इस्तेमाल होने लगा है। घर के नींव की खुदाई करवानी हो या जमीन से मिट्टी कटवानी हो या फिर तालाब खुदवानी दिनभर का काम घंटे में और घंटे का काम मिनटों में। अब तो नाले के सफाई की जवाबदेही भी जेसीबी को ही दे दी गई है। अब पोकलेन ही देख लीजिये जहां आम गाड़ियां आसानी से नहीं पहुंच पाती। वहां पोकलेन हाजिर हो जाता है। गहरे भू-भाग से मिट्टी खोदते व खोदी गई मिट्टी को बाहर फेंकने में महारत हासिल किये यह मशीन सड़क तोड़ने के काम को भी बखूबी अंजाम देता है। पगमेल मशीन के आ जाने के बाद तो जैसे ईट उद्योग में क्रांति ही आ गई है। ईट पथाई के लिए अब भारी भरकम मजदूरों की जरूरत ही नहीं रही। आटोमेटिक पगमेल मशीन में मिट्टी, पानी व बालू डालिए और दैत्य की तरह ईट उगलता जायेगा यह मशीन। मशीन वार के बीच बेकार हो रहे मानव श्रम को बेरोजगारी व बेकारी से ऋण दिलाने के लिए सरकार ने कमर कसी और मनरेगा के माध्यम से उन्हें सौ दिनों का रोजगार मुहैया करवाया जा रहा है। अब तो कृषि कार्य में भी मशीनों ने दस्तक दे डाली है। मशीनी युग का प्रभाव तो मानव श्रम पर पड़ना ही था। और आज हम अपने ही बनाये मशीनों के आगे मजबूर से होकर रह गये।
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Answer:
both bada tha aur kuch samjh nahi aaya
Explanation:
plzz short and sweet