CBSE BOARD X, asked by swagatsourav10241, 6 months ago

मषायां प्रदत्त शब्दानाम् सहायता जलप्रदूषणम्' इति विषयम्
अधिकृत्य पञ्च वाम्यानि संस्कृतेत लिखत-
मञ्जूषा
अवकरण , नदीषु जना कार्यशालाभ्यः दषितम् , मला
क्षिपन्ति , स्वच्छम् क्षालयन्ति , वाणि पूजा - सामग्री पुष्पाणि,
मालिकामाण, जायने , योगा , भनि फाणा :,​

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Answered by arajaram796
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Answer:

हिंदू धर्म में शुद्धीकरण के लिए हवन का विधान है। हवन कुण्ड में अग्नि के जरिये देवताओं के निकट हवि पहुंचाने की प्रक्रिया यज्ञ कहलाती है। हवि उस पदार्थ को कहा जाता है जिसकी अग्नि में आहुति दी जाती है। हवन की वेदी वैसे तो पुरोहित के परामर्श से तैयार करनी चाहिए लेकिन आजकल हवन की वेदी तैयार भी मिलती है। अनेक पुरोहित तो जमीन में गड्ढा खोदकर लकड़ियों से भी वेदी का निर्माण करते हैं। शास्त्रों के अनुसार वेदी के पांच संस्कार किये जाते हैं। तीन कुशों में वेदी या ताम्र कुण्ड का दक्षिण से उत्तर की ओर परिमार्जन करें। फिर उन कुशों से वेदी या ताम्र कुण्ड को ईशान दिशा में फेंक दें। गोबर और जल से लीपकर पृथ्वी शुद्ध करें। कुशमूल से पश्चिम की ओर लगभग दस अंगुल लंबी तीन रेखाएं दक्षिण से प्रारम्भ कर उत्तर की ओर बनाएं। दक्षिण अनामिका और अंगूठे से रेखाओं पर मिट्टी निकालकर बाएं हाथ में तीन बार रखकर फिर सारी मिट्टी दाहिने हाथ में रख लें। फिर मिट्टी को उत्तर की ओर फेंक दें। इसके बाद जल से कुंड को सींच दें। इस तरह भूमि के पांच संस्कार संपन्न करके पवित्र अग्नि

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