Massacre of Amritsar....Write a note.... Don't copy paste!!
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सौ साल पहले 13 अप्रैल, 1919 ही वह दिन था, जब पंजाब के अमृतसर स्थित जलियांवाला बाग में हजारों लोग बैसाखी के पावन पर्व को मनाने के लिए इकट्ठा हुए थे। अंग्रेजों का दमन और अत्याचार अपने चरम पर था। हर किसी के दिल में आजादी पाने की इच्छा तेज होती जा रही थी। मगर उस दिन जो हुआ, इतिहास के माथे पर कलंक का टीका है। निहत्थे बेकसूर लोगों पर अंग्रेजी सेना ने अंधाधुंध 1650 राउंड गोलियां बरसा दीं। इस भयावह घटना को सौ साल बीत चुके हैं, लेकिन आज तक यह पता नहीं चल सका है कि कितने लोगों ने अपनी शहादत दी थी।
इस हत्याकांड का सबसे ज्यादा असर मेरे वीर जी (शहीद-ए-आज़म भगत सिंह जी) केे उपर हुआ था वो तब सिर्फ 12 साल केे थे इस बात का पता जब चला उनको वो अकेले अमृतसर गए थे उन्होंने एक बोतल में खून से लत पत मिट्टी भड़ी और घर लेके आये वो रोज़ उन शहीदों की पूजा करते थे |
13 अप्रैल को अंजाम दिए गए इस हत्याकांड के गुनाहगार जनरल डायर को 13 मार्च, 1934 को ऊधम सिंह ने गोली मारी थी और जलियांवाला बाग में गिरे खून का बदला लिया था।
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इंकलाब जिंदाबाद
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