मत बाँटो इंसान को का भाव अर्थ पूरे कविता का ?
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यह बात बिलकुल सत्य है कि मनुष्य अपने आप को बांटते चला जा रहा है।
कवि का कहने का तात्पर्य यह है कि इस दुनिया में सब कुछ बंट चुका है और यदि मनुष्य अपने आप को भी बांट लेगा तो इस संसार में जीना मुश्किल हो जाएगा।
कवि का कहने का तात्पर्य यह है कि इस दुनिया में सब कुछ बंट चुका है और यदि मनुष्य अपने आप को भी बांट लेगा तो इस संसार में जीना मुश्किल हो जाएगा।
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