mata ka anchal padh ke shirshak ki sarthakta par vichar vyakat kijiye
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इस कहानी में माँ के आँचल की सार्थकता को समझाने का प्रयास किया गया है। भोलानाथ को माता व पिता दोनों से बहुत प्रेम मिला है। उसका दिन पिता की छत्रछाया में ही शुरू होता है। पिता उसकी हर क्रीड़ा में सदैव साथ रहते हैं, विपदा होने पर उसकी रक्षा करते हैं।
लेखक ने इस कहानी का नाम माँ का आँचल उपयुक्त रखा है । इस कहानी में माँ के आँचल की सार्थकता को समझाने का प्रयास किया गया है । भोलानाथ को माता व पिता दोनों से बहुत प्रेम मिला है । उसका दिन पिता की छत्रछाया में ही शुरू होता है । पिता उसकी हर क्रीड़ा में सदैव साथ रहते हैं , विपदा होने पर उसकी रक्षा करते हैं । परन्तु जब वह साँप को देखकर डर जाता है तो वह पिता की छत्रछाया के स्थान पर माता की गोद में छिपकर ही प्रेम व शान्ति का अनुभव करता है । माता उसके भय से भयभीत है , उसके दु : ख से दुखी है , उसके आँसु से खिन्न है । वह अपने पुत्र की पीड़ा को देखकर अपनी सुधबुध खो देती है । वह बस इसी प्रयास में है कि वह अपने पुत्र की पीड़ा को समाप्त कर सके । माँ का यही प्रयास उसके बच्चे को आत्मीय सुख व प्रेम का अनुभव कराता है । इसके लिए एक उपयुक्त शीषर्क और हो सकता था माँ की ममता क्योंकि कहानी में माँ का स्नेह ही प्रधान है । अत : यह शीर्षक भी उचित है ।