mata ke achal path ke adhar par bholanath aur uske pita ke smbhndo ka Vishleshan krte hue pita putr smbhando ke mhtv par prakash daliye
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Explanation:
: यह सही है कि इस कहानी में बच्चों का अपने पिता के साथ अधिक जुड़ाव दिखाया गया है। लेकिन बच्चे अपने पिता और माता को अलग-अलग नजरिये से देखते हैं। जब उन्हें अत्यधिक असुरक्षा की भावना घेर लेती है तो वे अपनी माँ से सहारे और सांत्वना की उम्मीद करते हैं। पिता से बच्चे बाहरी दुनिया के बारे में सीखने को अधिक उत्सुक रहते हैं। माँ ममता और स्नेह की मूर्ति मानी जाती है। शायद इसलिए वह बच्चा विपदा के समय अपनी माँ की शरण में जाता है।
आपके विचार से भोलानाथ अपने साथियों को देखकर सिसकना क्यों भूल जाता है?
छोटे बच्चों में अक्सर ऐसा देखा जाता है। जब उनका कोई प्रिय खिलौना मिल जाता है तो वे तुरंत ही पिछला सब कुछ भूलकर अपने खेल में खो जाते हैं। अपने साथियों को देखकर भोलानाथ को जी भर कर खेलने का मौका मिल जाता था। इसलिए उन्हें देखकर भोलानाथ सिसकना भूल जाता था।
Explanation:
भोलनाथ जब अपने पिता की गोद में बैठा हुआ आईने में अपने प्रतिबिम्ब को देखकर खुश होता रहता है। वहीं पिता द्वारा रामायण पाठ छोड़कर देखने पर लजाकर व मुस्कुराकर आईना रख देना । यहाँ बच्चों का अपने अक्ष के प्रति जिज्ञासा भाव बड़ा ही मनोहर लगता है और उसका शर्माकर आईना रखना बहुत ही सुन्दर वर्णन है।
(2) बच्चों द्वारा बारात का स्वांग रचते हुए दुल्हन को लिवा लाना व पिता द्वारा दुल्हन का घुघंट उटाने पर सब बच्चों का भाग जाना, बच्चों के खेल में समाज के प्रति उनका रूझान झलकता है तो दूसरी और उनकी नाटकीयता, स्वांग उनका बचपना।
(3) बच्चे का अपने पिता के साथ कुश्ती लड़ना। शिथिल होकर बच्चे के बल को बढ़ावा देना और पछाड़ खा कर गिर जाना। बच्चे का अपने पिता की मूंछ खींचना और पिता का इसमें प्रसन्न होना बड़ा ही आनन्दमयी प्रसंग है।