mata pita hi hamare margdarshak hote hain par kahani likhiye.( laghu katha lekan)
note- no irrelevant answers i will reprt right away.
Answers
Answer:
आज की युवा पीढ़ी अपने माता-पिता को पुरानी पीढ़ी कह कर नकारती है! उनकी मन:स्थिति को समझने का बिल्कुल प्रयत्न नहीं करती है! इस बात को हमें कदापि नहीं भूलना चाहिए कि जिस जगह पर आज हम खड़े हैं, समाज में रहने योग्य हैं और जो हमें आदर प्राप्त हो रहा है, वह केवल हमारी मेहनत का परिणाम नहीं, उसमे हमारे माता-पिता का परिश्रम भी छिपा हुआ है! अगर आज हम अपने माता-पिता को पुरानी पीढ़ी का कहकर उनका अपमान करने में बिल्कुल नहीं हिचकिचाते, तो उसी तरह जब हम भी उनकी जगह खुद को पाएंगे और हमारी संतान स्वयं को नई पीढ़ी का कहते हुए हमारी परवरिश, संस्कारों को नकारते हुए हमें रूढ़ियों में जकड़ा हुआ कहेगी, तब हमें अपने माता-पिता की मन:स्थिति का आभास होगा!
अभी हमें यह बिल्कुल भी अच्छा नहीं लगता कि क्यों हम पर इतने बंधन लगाए जा रहे हैं, कि बेटा इसके साथ मत बैठो, ऐसा मत करो, यह कार्य तुम्हारे हित में नहीं है, यह सुनने में उस वक़्त तो बिल्कुल अच्छा नहीं लगता! परंतु जब उसके बुरे परिणाम सामने आते है तब हमें यह अहसास होता है कि हमारे पापा हमें सही कह रहे हैं। और फिर हम गर्व से कहते हैं – यू आर ऑल्वेज़ राइट पापा ! आई एम प्राउड ऑफ यू !रीति-रिवाज़ों को मानना युवा पीढ़ी को गवारा नहीं है। वह आज के फैशन के दौर में जीना चाहती है! पुरानी पीढ़ी की धार्मिक प्रवृत्ति को नकारती है! अपने ही तरीकों से युवा पीढ़ी जीना चाहती है!
माता-पिता अपनी संतान का कभी भी बुरा नही चाहेंगे, जब एक बच्चा जन्म लेता है , तब माता- पिता की आंखों में खुशी को देखा जा सकता है, बच्चे के जन्म के साथ-साथ माता-पिता के सपनों का भी जन्म होता है। जब बेटी पैदा होती है तो मां अपनी छवि को उसमे देखती है और बेटा पैदा होने पर पिता स्वयं को उसमें ढूंढता है। बच्चे के पैदा होने के साथ ही माता-पिता के सपने उड़ान भरने लगते हैं। बेटी बड़ी होकर डॉक्टर बनेगी और बेटे को तो हम इंजिनियर बनाएंगे।परंतु अगर वही बच्चे बड़े होकर अपने पिता के देखे हुए सपनों को तोड़ने लगें तो पिता की मन:स्थिति को एक पिता के अतिरिक्त और कोई नहीं समझ सकता।
आज की युवा पीढ़ी का सोचने का तरीका बिल्कुल अलग है। जब पिता किसी बात पर अपनी संतान को गलत कार्य करने से रोकता है या बंधन में रखता है, जिससे कि उसकी संतान गलत संगत मे ना पड़े, तब युवा पीढ़ी अपने पापा को ना समझते हुए अपने पापा को हिटलर आदि नामों से संबोधित करती है। पापा का समझाना उन्हें तानाशाही लगती है। ममी-पापा का प्यार उन्हें बोझ लगने लगता है।अपने सपने तो हम कभी भी साकार कर सकते हैं, लेकिन पहले हमें अपने ममी-पापा के सपनों को साकार करना चाहिए, जिन्होंने हमें यह जीवन दिया है। अपने दोस्तों के बीच अपने पापा को हिटलर कहना उनके द्वारा हमें दिए गये संस्कारों की हार है।
आज जब हम उनके साथ कदम से कदम मिलाकर नहीं चलना चाहते, तब बचपन के उन पलों को हमें याद करना चाहिए जब हमें अपने हाथों का सहारा देकर चलना सिखाया था। आज हम उनके साथ चलना अपना अपमान समझते हैं। पापा के विचारों के प्रति असहमति करना अनुचित है।युवा पीढ़ी अपने ममी-पापा के अनुभवों को ग्रहण कर ही अपने जीवन में सफलता हासिल कर सकती है।