Mata - pita ka prati humare kya kya kartavye hai short mai bataye
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शास्त्रों में तो पुत्र के लिए कर्तव्य बताया गया है कि स्वयं सुमार्ग पर चलकर माता-पिता को भी सुमार्ग की ओर, धर्म की ओर मोडे तो ही उनके उपकार का बदला चुकाया जा सकता है। माता-पिता मोहवश पुत्र को सुमार्ग पर जाने से रोके तो एक बार उनकी अवज्ञा कर के भी स्वयं सुमार्ग पर दृढ हों और फिर उन्हें भी सुमार्ग की ओर उन्मुख करें।
परमात्मा इस सृष्टि का पालन-पोषण करता है, यह हम जानते हैं l लेकिन वो किस ज़रिये से करता है, किस तरीके से करता है? शास्त्रों में माता-पिता के लिए कहा जाता है – “मातृ देवो: भव:”, माँ देवता के समान है l “पितृ देवो: भव:”, पिता देवता के समान है और “आचार्य देवो: भव:”, हमारे जो आचार्य हैं वो देवता के समान हैं l
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